औषधियों ने सदियों से स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह प्राचीन जड़ी-बूटियों से लेकर आज के अत्याधुनिक चिकित्सा विज्ञान तक का एक लंबा सफर रहा है, जो वैश्विक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से निरंतर प्रगति करता आ रहा है। भारत ने “विश्व की फार्मेसी” के रूप में अपनी पहचान बनाई है और उच्च गुणवत्ता वाली, किफायती औषधियां उपलब्ध कराकर विश्वभर में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को बेहतर बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
इस उद्देश्य की पूर्ति में सलूड केयर समूह जैसे भारतीय औषधि संस्थान अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। श्री निलेश दुधवेवाला के नेतृत्व में यह कंपनी वैश्विक औषधि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनने की ओर अग्रसर है।
औषधि क्षेत्र में नवाचार
वर्ष २००३ में स्थापित सलूड केयर ने गुणवत्ता से भरपूर औषधियों के निर्माण और वितरण के क्षेत्र में स्वयं को एक विश्वसनीय नाम के रूप में स्थापित कर लिया है। इसका लक्ष्य भारतीय मूल की औषधियों को विश्व स्तर पर एक प्रतिष्ठित पहचान दिलाना है तथा देश की सबसे बड़ी अनुबंध निर्माण संस्था बनना है।
कंपनी अपने खुद के ब्रांड्स के फार्मास्यूटिकल, न्यूट्रास्यूटिकल और कॉस्मास्यूटिकल उत्पादों का विपणन, वितरण और बिक्री पचास से अधिक देशों में करती है। सेवा, उत्कृष्टता, ज़िम्मेदारी और करुणा जैसे मूल्यों के आधार पर संचालित यह समूह अपने रोगियों, ग्राहकों, कर्मचारियों और समाज के प्रति पूर्ण निष्ठा रखता है।
सलूड केयर का मुख्यालय अहमदाबाद में है, जबकि इसके निर्माण संयंत्र रुड़की और अहमदाबाद में स्थित हैं। कोलकाता से क्षेत्रीय संचालन होता है। समूह की कंपनियों में पाँच सौ से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। साथ ही, ताशकंद और संयुक्त राज्य में प्रतिनिधि कार्यालय भी हैं, जो वैश्विक साझेदारियों और संचालन को मजबूती प्रदान करते हैं।
कंपनी के ग्राहकों में इंटास फार्मास्यूटिकल्स, लॉयड फार्मास्यूटिकल्स, अब्बारिस फार्मास्यूटिकल्स, दावा इंडिया, जॉनली फार्मास्यूटिकल्स जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं शामिल हैं। निर्माण से लेकर वितरण तक इसकी समग्र दृष्टि इसे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा सुधार में एक प्रमुख भागीदार बनाती है।
सलूड केयर की उत्पत्ति
श्री निलेश दुधवेवाला बिहार के भागलपुर से एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पिता ने एक छोटी दवा की दुकान से शुरुआत की थी और बाद में वितरण का कार्य शुरू किया। वर्ष १९९० में परिवार कोलकाता स्थानांतरित हुआ, जहाँ उन्होंने औषधियों के रेडीमेड वितरण का व्यवसाय स्थापित किया। पारिवारिक व्यवसाय में प्रारंभ से ही जुड़े होने के कारण श्री निलेश और उनके भाई को इस क्षेत्र के प्रति विशेष लगाव हो गया।
स्नातक शिक्षा के दौरान उनके बड़े भाई श्री मनीष दुधवेवाला के नेतृत्व में सलूड की स्थापना हुई। वर्ष २००३ में यह कंपनी पश्चिम बंगाल में एक छोटी घरेलू औषधि विपणन कंपनी के रूप में शुरू हुई। “तभी मैंने अपने भाई के साथ मिलकर इस कंपनी को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया,” श्री निलेश बताते हैं।
कुछ वर्षों के भीतर, कंपनी ने पूर्वी भारत में अपनी पकड़ मजबूत की और अपने खुद के ब्रांड्स के निर्माण के लिए एक इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके लिए रुड़की को चुना गया, जो उस समय दवा निर्माण का प्रमुख केंद्र था और जहाँ सरकारी रियायतें भी उपलब्ध थीं। वर्ष २००७ में संयंत्र ने संचालन प्रारंभ किया।
एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद और मारुति में विक्रय प्रबंधक के रूप में अनुभव लेने के बाद श्री निलेश ने २००९ में पूर्णकालिक रूप से सलूड से जुड़कर विपणन खंड की ज़िम्मेदारी संभाली, जबकि उनके भाई ने निर्माण और अनुबंध निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। २०१३ तक कंपनी ने वैश्विक विपणन प्रारंभ कर दिया, निर्माण क्षमताओं को उन्नत किया और डब्ल्यूएचओ-जीएमपी, नाइजीरिया, केन्या आदि देशों की मान्यताएं प्राप्त कर वैश्विक पंजीकरण शुरू किया।
वर्ष २०१६ में घरेलू बाज़ार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए दोनों भाइयों ने संगठनात्मक विस्तार और पेशेवर नेतृत्व की आवश्यकता पहचानी। इस बदलाव के अंतर्गत सलूड केयर को एक समूह के रूप में पुनर्गठित किया गया। घरेलू विपणन के लिए एक नई इकाई एल्वियो फार्मास्यूटिकल्स बनाई गई, जबकि सलूड केयर ने निर्माण और निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया। स्टेला लाइफकेयर के साथ साझेदारी कर स्टेल्वियो हेल्थकेयर की स्थापना की गई, जो न्यूट्रास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उत्पादों के निर्माण पर केंद्रित है। अहमदाबाद में एक अत्याधुनिक निर्माण संयंत्र की शुरुआत वर्ष २०२४ की शुरुआत में हुई।
अनूठे समाधान
सलूड विभिन्न खंडों में निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता है:
- घरेलू विपणन: हृदय और मधुमेह रोग संबंधी औषधियों के स्वयं के ब्रांड्स का विपणन।
- अनुबंध निर्माण: सबसे बड़ा खंड, जिसमें निजी लेबलिंग, लाइसेंस आधारित निर्माण, न्यूट्रास्यूटिकल, फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उत्पादों का निर्माण किया जाता है।
- अंतरराष्ट्रीय विपणन: कंपनी अपने ब्रांड्स का वैश्विक पंजीकरण, विपणन और वितरण कर रही है।
चुनौतियों से जूझते हुए
श्री निलेश मानते हैं कि भारत को वैश्विक स्तर के विनियामक मानकों के अनुरूप बनने की आवश्यकता है। सलूड पहले ही अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है। “हम नोटबंदी, जीएसटी, महामारी और युद्ध जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर चुके हैं,” वे कहते हैं। कंपनी की विविधता इसे किसी भी एक बाज़ार की अनिश्चितताओं से सुरक्षित बनाती है।
सलूड की सफलता
कंपनी सभी नियामक जांचों में अब तक उत्कृष्ट रही है। “हमारे संयंत्रों ने डब्ल्यूएचओ-जीएमपी, नाइजीरिया, केन्या, युगांडा, सूडान और यूक्रेन जैसे देशों की सभी जांचें सफलता पूर्वक पार की हैं,” श्री निलेश बताते हैं। उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि कर्मचारियों की व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रगति देखना है। कई कर्मचारी शुरुआती स्तर से वरिष्ठ प्रबंधन तक पहुँचे हैं।
टीम को सशक्त बनाना
कंपनी का लक्ष्य है कि उनकी टीम हर क्षेत्र में उत्कृष्ट हो। “हमारे पास समर्पित और सक्षम टीम है,” श्री निलेश बताते हैं। अधिकांश वरिष्ठ सदस्य दस वर्षों से अधिक समय से कंपनी के साथ जुड़े हैं। निर्माण और वितरण के लिए कड़े मानक संचालन प्रक्रियाएं बनाकर सभी को प्रशिक्षित किया जाता है और इनका पालन सुनिश्चित किया जाता है।
भारत की भूमिका
चीन के प्रभाव में गिरावट के साथ भारत उच्च गुणवत्ता और किफायती स्वास्थ्य समाधान देने वाला प्रमुख देश बन रहा है। हालांकि, देश में तनाव, खराब आहार और जीवनशैली से उत्पन्न बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। “ये चुनौतियाँ औषधि क्षेत्र के लिए अवसर भी हैं,” वे कहते हैं। लेकिन सफलता केवल उन्हीं कंपनियों को मिलेगी जो गुणवत्ता और किफायती मूल्य का संतुलन बना पाएंगी।
आगे की राह
सलूड अब अहमदाबाद स्थित रिबेस लाइफसाइंसेज़ में बहुमत हिस्सेदारी प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। साथ ही एल्वियो का विस्तार, नए अनुबंध निर्माण साझेदारों की खोज और अपने ब्रांड्स को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों — जैसे पेरू, ग्वाटेमाला, फिलीपींस, थाईलैंड, युगांडा, इथियोपिया, तंज़ानिया और मध्य एशिया — में पंजीकृत कर रहा है।
सलूड केयर सोल्यूशन्स के माध्यम से एक राष्ट्रीय फार्मेसी श्रृंखला विकसित करने की योजना है। वर्ष के अंत तक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की भी योजना है ताकि विपणन और निर्माण साझेदारियों का विस्तार किया जा सके।
नेतृत्व का मंत्र
श्री निलेश नए उद्यमियों को सलाह देते हैं कि औषधि क्षेत्र में पूंजी निवेश अधिक होता है और लाभ प्राप्त करने में पाँच से दस वर्ष तक का समय लग सकता है। “इस क्षेत्र में धैर्य और दीर्घकालिक सोच आवश्यक है।” साथ ही, वे उत्पाद की गुणवत्ता को सर्वोपरि मानते हैं — “औषधियाँ सीधे लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी होती हैं, अतः गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।”