पीढ़ियों से, समाज ने महिलाओं पर कड़े नियम लगाए हैं, उनकी क्षमता पर शक किया है और उनके सपनों को सीमित किया है। फिर भी, अगर हम इतिहास देखें, तो हमें कई अद्भुत महिलाएं मिलती हैं जिन्होंने इन बाधाओं को तोड़ दिया और साबित किया कि भरोसा और संकल्प से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।
ऐसी ही एक नाम है डॉ. ऋचा मिश्रा, जो उत्तर प्रदेश के बड़े स्वास्थ्य और शिक्षा नेटवर्क की चेयरपर्सन हैं। उनका मिशन ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा और सशक्तिकरण के जरिए उठाना है। उन्होंने सिर्फ रूढ़ियों को नहीं तोड़ा बल्कि अपने क्षेत्र में बदलाव लाने वाली शक्ति बनकर खुद को स्थापित किया है। 2000 से, डॉ. ऋचा ने ऐसी संस्थाएं बनाईं जो युवतियों की ताकत और स्वतंत्रता को बढ़ावा दें, ताकि वे अपनी ज़िंदगी खुद लिख सकें।
डॉ. ऋचा ने अपने सफर में जेंडर भेदभाव से लेकर सिस्टम की बाधाओं तक हर चुनौती का सामना किया है। उन्होंने विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और ट्रेनिंग सेंटर बनाकर न केवल अच्छी देखभाल उपलब्ध कराई, बल्कि कई युवा महिलाओं को उनके सपने पूरे करने के लिए प्रेरित किया। उनकी कहानी यह दिखाती है कि जब महिलाओं को मौका मिलता है, तो वे उद्योग, समुदाय और उन सीमाओं को बदल सकती हैं जो उन्हें रोकती थीं।
प्रभाव का एक इतिहास बनाना
डॉ. ऋचा का स्वास्थ्य क्षेत्र में सफर 1996 में शुरू हुआ जब वे नासिक के एक प्राइवेट अस्पताल में मैनेजमेंट एग्जीक्यूटिव थीं। इस अनुभव ने उन्हें इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव करने का सपना दिया। जल्दी ही उन्होंने लखनऊ में अपना एक छोटा 50-बेड अस्पताल और नर्सिंग स्कूल खोला। “अस्पताल चलाते हुए मैंने देखा कि अच्छे स्वास्थ्यकर्मी कितने कम हैं,” डॉ. ऋचा कहती हैं, “इसलिए मैंने नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा पर ध्यान देना शुरू किया।”
उन्होंने अपना पहला नर्सिंग कॉलेज बनाया, जो बाद में बढ़कर बराबंकी के हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नामक मेडिकल कॉलेज में बदल गया, जहां वे चेयरपर्सन हैं। इसके बाद उन्होंने सीतापुर में एक और मेडिकल और पोस्टग्रेजुएट कॉलेज खोला। मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कम से कम 800 बिस्तर जरूरी होते हैं, जो स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ रोजगार भी देते हैं।
डॉ. ऋचा की उपलब्धियां केवल मेडिकल संस्थाओं तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के लिए शिक्षा और सशक्तिकरण पर भी काम किया और अब उनके पास दो मेडिकल कॉलेज, सात अस्पताल, पांच नर्सिंग कॉलेज, तीन पैरामेडिकल कॉलेज, दो स्कूल और एक फैशन डिजाइन कॉलेज हैं। वे शेखर अस्पताल और अद्यंत OPC कंसल्टेंसी कंपनी की डायरेक्टर भी हैं और अद्यंत इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज तथा श्री बालाजी चैरिटेबल ट्रस्ट की चेयरपर्सन हैं। “मैं ऐसी संस्थाएं बनाना चाहती थी जो मेरे सपने को पूरा करें,” डॉ. ऋचा बताती हैं। “यह सफर हमेशा असरदार बदलाव लाने का रहा है।”
मुश्किलों से सफलता तक
डॉ. ऋचा के लिए सफलता का रास्ता आसान नहीं था। कई चुनौतियां आईं, जैसे पैसे की कमी, जेंडर भेदभाव, और परिवार से संदेह। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। “सफलता कभी आसान नहीं आती,” वे कहती हैं। “मैंने कई बार हार भी देखी, लेकिन हर हार ने मुझे मजबूत और ज्यादा मेहनती बनाया।”
एक महिला नेता के रूप में, डॉ. ऋचा को अजीब तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ा। “लोग मेरी क्षमता से ज्यादा मेरी शक्ल पर ध्यान देते थे,” वे कहती हैं। “सराहना की जगह शक और सवाल मिले।” पैसों की कमी के कारण उन्हें कई बार पार्टनरशिप करनी पड़ी, और अक्सर वे खुद कंपनी का चेहरा बनीं। लेकिन बिजनेस सफल होने के बाद कई पार्टनरशिप खत्म हो गईं। फिर भी डॉ. ऋचा ने हार नहीं मानी और और मेहनत से खुद को साबित किया।
उनका यह सफर उनके संगठन की संस्कृति भी बन गया, जहां हर टीम सदस्य को सम्मान और ताकत महसूस होती है। “अगर आप बड़ा कुछ करना चाहते हैं, तो याद रखें कि अकेले यह नहीं कर सकते,” वे कहती हैं। “एक मजबूत टीम बनाएं, ज्ञान बांटें और अहंकार से बचें, यही असली सफलता की कुंजी है।”
नई उम्मीदें
डॉ. ऋचा का सपना है कि उनकी संस्थाएं स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे हों। उनका मकसद सिर्फ पहुंच बढ़ाना नहीं, बल्कि ऐसे केंद्र बनाना है जो ग्रामीण समुदायों और समाज दोनों के लिए बेहतरीन हों। “मैं चाहती हूं कि मेरी संस्थाएं स्वास्थ्य और शिक्षा में उच्च मानक स्थापित करें, ताकि हर व्यक्ति को अच्छी सेवा और सशक्तिकरण मिले,” वे कहती हैं, जो उनकी स्थायी विकास की प्रतिबद्धता दिखाता है।
नेतृत्व के विचार
डॉ. ऋचा महिलाओं को, खासकर ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को, शिक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के जरिए आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। “मैं हमेशा महिलाओं के विकास और स्वतंत्रता को बढ़ावा देना चाहती हूं,” वे बताती हैं। “मेरे लिए यह जरूरी है कि जहां जरूरत हो वहां अवसर बनाए जाएं।”
अपने अनुभव पर वे कहती हैं कि आत्मविश्वास बहुत जरूरी है। महिलाओं को परिवार और समाज से मजबूत समर्थन चाहिए ताकि वे असली तरक्की कर सकें। “मुश्किलें सिर्फ कारोबार की नहीं हैं, बल्कि परिवार की उम्मीदों और समाज की सोच में भी हैं,” वे समझाती हैं। “लेकिन आत्मविश्वास ज़रूरी है, क्योंकि यही हमारे विकास, सफलता और मजबूती की नींव है।”
“यह सफर आसान नहीं है, लेकिन डर को रास्ता न देने दें,” वे सलाह देती हैं। “पुरुष प्रतियोगी और उद्योग की बाधाएं मुश्किल होती हैं, लेकिन लगन और धैर्य से ही सफलता मिलती है।”