असली लीडर वही होता है जो सिर्फ अपनी कंपनी नहीं बनाता, बल्कि दूसरों के लिए भी तरक्की के मौके तैयार करता है। ऐसा लीडर लोगों को मोटिवेट करता है, उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत देता है और उनके लिए रास्ते खोलता है।
आज के ज़माने में जहाँ कम्पटीशन बहुत ज़्यादा है और बिज़नेस कभी भी ऊपर-नीचे हो सकते हैं, वहीं ऐसे लीडर की ज़रूरत होती है जो दूसरों को भी साथ लेकर चले। इसके लिए हिम्मत, सब्र और लोगों को समझने की गहराई चाहिए। दीपक पेस्चर्ड, जो एक फ्रेंच-इंडियन आन्त्रप्रेन्योर हैं, ऐसे ही एक लीडर हैं। उनका मकसद है लोगों के लिए ग्लोबल मौके बनाना और उन्हें सक्सेस दिलाना।
वो डाइज़ेटो नाम की कंपनी के फाउंडर और सीईओ हैं। उन्होंने अपनी ग्लोबल सोच और इनोवेशन के शौक को मिलाकर ऐसे स्टार्टअप और स्मॉल बिज़नेस की मदद की है जो देश की सीमाओं के बाहर भी ग्रो करना चाहते हैं। अब डाइज़ेटो एक नया प्रोग्राम लॉन्च करने जा रही है — ग्लोबल करियर एक्सेलरेटर प्रोग्राम – एज (Edge)। इसके ज़रिए दीपक अब लोगों को इंटरनेशनल करियर बनाने में मदद कर रहे हैं, ताकि वो इस तेज़ कम्पटीशन वाली दुनिया में टिक सकें और आगे बढ़ सकें।
एक ग्लोबल आन्त्रप्रेन्योर बनने की जर्नी
हर आन्त्रप्रेन्योर की एक कहानी होती है, लेकिन कुछ कहानियाँ इंसान के अंदर की ताकत और इमोशनल सफर को भी दिखाती हैं। दीपक की कहानी भी ऐसी ही है — हौसले, खुद को पहचानने और समाज के लिए कुछ करने की चाहत की।
दीपक का जन्म भारत में हुआ। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के पहले चार साल मुंबई में एक ऑर्फनेज (अनाथालय) में बिताए, जो मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी द्वारा चलाया जाता था। उसके बाद उन्हें फ्रांस के एक परिवार ने गोद ले लिया और वो वहीं बड़े हुए। लेकिन उनके मन में हमेशा अपने असली परिवार और जड़ों को लेकर सवाल रहते थे।
18 साल की उम्र में, जब वो डिप्रेशन से जूझ रहे थे, तो उन्होंने अपनी बायोलॉजिकल माँ को ढूंढने की ठान ली। इस सफर में वो फिर से इंडिया आए और चेन्नई में एक साल पढ़ाई की। इसके बाद वो फ्रांस लौटे और इंटरनेशनल बिज़नेस में मास्टर्स की डिग्री ली।
पढ़ाई के बाद उन्होंने HSBC बैंक में काम करना शुरू किया। वहाँ उन्होंने 18 साल तक काम किया और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सीनियर पोज़िशन पर रहे। कोविड-19 के समय उन्होंने अपनी जिंदगी पर एक किताब लिखी — “द सीक्रेट सन”। इस किताब में उन्होंने अपनी माँ की तलाश और उस सफर की सारी बातें बताईं। भले ही उनकी माँ का देहांत 2018 में हो गया था और मिलना नहीं हो पाया, लेकिन 2019 में उन्होंने अपने रूट्स को पहचान लिया।
उनकी शादी एक भारतीय महिला से हुई है, जिससे भारत से उनका रिश्ता और गहरा हो गया है। मुंबई की गलियों से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक पहुँचने वाली उनकी जर्नी बताती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो इंसान कुछ भी कर सकता है।
कॉरपोरेट से इम्पैक्ट क्रिएटर बनने तक का सफर
लगभग 20 साल तक कॉरपोरेट दुनिया में काम करने के बाद, दीपक ने एक नया रास्ता चुना। HSBC में उन्होंने 6 देशों और 3 बड़े रीजन में काम किया। इस दौरान उन्होंने ग्लोबल फाइनान्स और इन्वेस्टमेंट की गहरी समझ हासिल की। लेकिन धीरे-धीरे उन्हें ये समझ आया कि असली सक्सेस सिर्फ प्रमोशन या पोजीशन नहीं होती — बल्कि कुछ ऐसा बनाना होता है जो दूसरों के लिए भी फायदेमंद हो।
2022 में उन्होंने HSBC से रिज़ाइन दे दिया और डाइज़ेटो नाम की कंपनी शुरू की। इस कंपनी का मकसद था ऐसे स्टार्टअप्स और स्मॉल बिज़नेस की मदद करना जो समाज पर पॉजिटिव असर डालते हैं — ताकि उन्हें फंडिंग, सही पार्टनर, और एक्सपर्ट गाइडेंस मिल सके और वो इंटरनेशनल लेवल पर पहुँच सकें।
इसके अलावा, उन्होंने स्विट्ज़रलैंड में एक फूड-टेक बिज़नेस भी शुरू किया, जो हेल्दी और सस्टेनेबल खाने पर फोकस करता है। साथ ही वो वीयू वेंचर पार्टनर्स (सैन फ्रांसिस्को की वेंचर कैपिटल फर्म) से भी जुड़े, जहाँ उन्होंने एक एक्सेलरेटर प्रोग्राम के ज़रिए इन्वेस्टमेंट की स्किल्स सीखी।
डाइज़ेटो: इम्पैक्ट वाले बिज़नेस को ग्लोबल बनाने का मिशन
डाइज़ेटो एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो AI की मदद से स्टार्टअप्स को सही इन्वेस्टर्स से जोड़ता है, ताकि उन्हें ग्रो करने में आसानी हो। लेकिन सिर्फ पैसा देना ही डाइज़ेटो का मकसद नहीं है — ये कंपनी खास उन बिज़नेस के लिए बनी है जो समाज या पर्यावरण के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं।
दीपक कहते हैं, “कोई भी टेक्नोलॉजी जो पॉजिटिव इम्पैक्ट डालती है, वो पूरी दुनिया तक पहुँचे — यही हमारा मिशन है।”
पेरिस (फ्रांस) और बेंगलुरु (भारत) से चलने वाली इस कंपनी में यूरोप की कड़क प्रोफेशनल अप्रोच और भारत की इनोवेटिव सोच का अच्छा मेल है। डाइज़ेटो सिर्फ फंडिंग नहीं, बल्कि लीगल, फाइनान्स, मार्केटिंग और ESG कम्प्लायंस में भी बिज़नेस को हाथ पकड़कर आगे बढ़ाता है — ताकि वो टिकाऊ और मजबूत तरीके से ग्रो कर सकें।
आज डाइज़ेटो का नेटवर्क 15+ देशों में फैला है, जिसमें 500+ एंजेल इन्वेस्टर्स और 100+ वेंचर कैपिटल फर्म्स जुड़े हुए हैं। ये कंपनी एक ऐसा ईकोसिस्टम बना रही है जहाँ इम्पैक्ट-ड्रिवन बिज़नेस इंटरनेशनल सक्सेस पा सकें।
अगली पीढ़ी के ग्लोबल लीडर्स को तैयार करना
खुद एक इंटरनेशनल करियर बना चुके दीपक पेस्चर्ड अच्छी तरह जानते हैं कि किसी अनजाने देश में कदम रखकर अपना नाम बनाना कितना मुश्किल होता है। इसी सोच के साथ उन्होंने डाइज़ेटो का ग्लोबल करियर एक्सेलरेटर प्रोग्राम – एज (Edge) लॉन्च किया। इस इनिशिएटिव के ज़रिए वो प्रोफेशनल्स को ऐसे स्किल्स, एक्सपोज़र और नेटवर्क देना चाहते हैं, जो उन्हें एक सक्सेसफुल ग्लोबल करियर बनाने में मदद करें।
यह तीन महीने का इमर्सिव प्रोग्राम ग्रैजुएट्स और प्रोफेशनल्स को रियल-वर्ल्ड इंटरनेशनल एक्सपोज़र देता है। इसमें पार्टिसिपेंट्स को इन्वेस्टमेंट, मार्केटिंग, सेल्स और टेक्नोलॉजी जैसे फील्ड्स में हैंड्स-ऑन एक्सपीरियंस मिलता है। साथ ही, वो लीडरशिप और ईएसजी (ESG) स्किल्स भी डेवलप करते हैं।
प्रोग्राम का मकसद है लोगों को अलग-अलग कंटिनेंट्स में काम करने लायक बनाना — वो भी सीनियर इंडस्ट्री लीडर्स से सीखते हुए और लाइव प्रोजेक्ट्स पर काम करते हुए।
दीपक के लिए यह प्रोग्राम “गिविंग बैक” का तरीका है। उनकी अपनी जर्नी में भी ऐसे मौके और लोग शामिल रहे जिन्होंने उन पर यकीन किया। अब वो डाइज़ेटो के ज़रिए दूसरों को वही मौके देना चाहते हैं, ताकि वो भी ग्लोबल लेवल पर कदम रख सकें।
दीपक की उपलब्धियाँ
दीपक के लिए उनकी इंटरनेशनल करियर अब तक की सबसे बड़ी अचीवमेंट रही है। वो बताते हैं, “हर जगह जहाँ मैंने काम किया, मैंने कोशिश की कि मेरी टीम और मैं कुछ पॉज़िटिव इम्पैक्ट छोड़ें।”
इस एक्सपीरियंस ने उन्हें सिखाया कि किसी भी देश में सक्सेसफुल होने के लिए वहाँ की लोकल कल्चर की रिस्पेक्ट और अंडरस्टैंडिंग ज़रूरी है। इसके साथ-साथ स्ट्रॉन्ग नेटवर्क्स और मेंटरशिप की वैल्यू भी उन्होंने समझी।
वो कहते हैं, “मैं आज भी खुद को अपस्किल करता हूँ ताकि कॉम्पिटिटिव वर्ल्ड में हमेशा रिलेवेंट बना रहूं।”
नए मौके और ट्रेंड्स
दीपक मानते हैं कि नए ट्रेंड्स से जुड़ा रहने के लिए इनोवेशन की नब्ज़ पर उंगली रखना ज़रूरी है। वो बताते हैं, “एक वेंचर कैपिटलिस्ट और स्टार्टअप ईकोसिस्टम से जुड़े इंसान के तौर पर, मैं हर दिन कम से कम पाँच टेक स्टार्टअप फाउंडर्स से बात करता हूँ – ये ट्रेंड्स से जुड़े रहने का बेस्ट तरीका है।”
डाइज़ेटो में भी वो मार्केट के बेस्ट टेक टूल्स का इस्तेमाल करते हैं ताकि क्लाइंट्स को बेस्ट सर्विस मिल सके। दीपक बताते हैं, “हमारी टीम में एक पर्सन पूरी तरह से हमारी टेक स्टैक इंफ्रास्ट्रक्चर को बिल्ड और मेंटेन करने में लगा है, जिसे हम रेगुलरली अपडेट करते रहते हैं ताकि हम हर समय पीक एफिशिएंसी पर ऑपरेट कर सकें।”
आगे की योजना के बारे में बात करते हुए वो कहते हैं, “हमारा एज (Edge) प्रोग्राम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिससे हम अगली पीढ़ी के इम्पैक्ट-ड्रिवन लीडर्स तैयार कर रहे हैं।”
उनके लिए लीडरशिप का मतलब है लोगों और टेक्नोलॉजी के ज़रिए लॉन्ग-टर्म इम्पैक्ट बनाना। वो कहते हैं, “सिर्फ आज क्या कर रहे हैं ये नहीं, बल्कि कल के लिए एक मजबूत फाउंडेशन बनाना असली काम है।”
लीडरशिप मंत्रा
नए इंटरप्रेन्योर्स को सलाह देते हुए दीपक पेस्चर्ड कहते हैं, “नेटवर्क्स की ताकत को समझिए और एक अच्छे मेंटर को खोजिए। ज़्यादातर एक्सेलरेटर प्रोग्राम्स सही गाइडेंस देते हैं, और अगर आपके आसपास सही लोग हों, तो आपकी सक्सेस की चांसेज़ कई गुना बढ़ जाती हैं।”