60 साल की उम्र वो होती है जब ज़्यादातर लोग आराम करने लगते हैं, रिटायर हो जाते हैं और सुकून की ज़िंदगी जीते हैं। लेकिन एडवोकेट रमेश गोयल ने उस उम्र में कुछ ऐसा करने का फ़ैसला लिया जो ज़्यादातर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। उस समय वो एक जाने-माने इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर थे और उनकी करियर बहुत अच्छी चल रही थी। लेकिन उन्होंने रुकने की बजाय एक ऐसा मिशन अपनाया जो हम सबकी ज़िंदगी से जुड़ा है — पानी बचाना।
साल 2008 में उन्होंने वॉटर कंज़र्वेशन मूवमेंट शुरू किया, जिसका मकसद था लोगों को पानी की अहमियत, उसकी कमी और उसे बचाने के तरीकों के बारे में जागरूक करना। यही से उनकी वो यात्रा शुरू हुई जिसने लाखों लोगों की सोच और ज़िंदगी पर असर डाला।
आज, 76 साल की उम्र पार करने के बाद भी उनका समर्पण बरकरार है। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें “जल स्टार”, “जल रक्षक”, “जल योद्धा”, “वॉटर हीरो”, “पर्यावरण श्री”, “जल प्रहरी” जैसे कई सम्मान दिलवाए हैं।
सीखने की कठिन लेकिन प्रेरणादायक यात्रा
रमेश गोयल का शुरुआती जीवन बहुत साधारण रहा। उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू की और इंटरमीडिएट की पढ़ाई प्राइवेट तौर पर यूपी से की। पढ़ाई के लिए उन्होंने पुराने किताबें ख़रीदी-बेचीं और खुद 10वीं क्लास में रहते हुए 8वीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाई। 1965 में हायर सेकंडरी के बाद उन्होंने अपने बड़े भाई की इंजीनियरिंग पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए प्राइवेट टाइपिस्ट का काम किया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
1968 से 1970 के बीच उन्होंने पिक्चर कैलेंडर और एल्युमिनियम नेमप्लेट बेचने और लॉटरी टिकट बेचने जैसे कई काम किए ताकि अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। उन्होंने बी.ए. (1970) पंजाब यूनिवर्सिटी से, बी.कॉम (1973) दिल्ली यूनिवर्सिटी से और एल.एल.बी. (1977) कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से किया। आज वो सिरसा और दिल्ली के एक मशहूर इनकम टैक्स कंसल्टेंट हैं और एक सेल्फ-मेड इंसान के रूप में पहचाने जाते हैं।
पर्यावरण के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन
वो “पर्यावरण प्रेरणा” नाम की एक एन.जी.ओ. के फाउंडर और नेशनल प्रेसिडेंट हैं जो पेड़ लगाने और बचाने, पानी और ऊर्जा की बचत, पॉल्यूशन कंट्रोल, सिंगल यूज़ प्लास्टिक फ्री इंडिया और सफाई जैसे कामों में लगी है। इस एन.जी.ओ. की 17 राज्यों में यूनिट्स हैं। उन्होंने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के ख़िलाफ़ जागरूकता फैलाई और हजारों कपड़े के बैग्स बाँटे। वो वेस्ट टू बेस्ट मॉडल को प्रमोट करते हैं और “रिफ्यूज़, रिड्यूस, री-यूज़, री-पर्पज़ और री-सायकल” फॉर्मूला को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने 3,000 स्टील की प्लेटें, चम्मच और गिलास भी बाँटे ताकि प्लास्टिक के डिस्पोज़ल का इस्तेमाल कम हो।
लाखों लोगों तक पहुंचा पानी बचाने का संदेश
“वॉटर कंज़र्वेशन मूवमेंट” के तहत उन्होंने स्कूल, कॉलेज और सामुदायिक कार्यक्रमों में जाकर खुद लेक्चर दिए — जिससे 6 लाख से ज़्यादा लोग सीधे जुड़े। ये प्रयास गाँवों और शहरों दोनों में हुए — हरियाणा, दिल्ली, असम, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में।
टीवी, दूरदर्शन, रेडियो, और अखबारों के ज़रिए उनका संदेश 1 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक पहुंच चुका है। 6 मई 2025 को इस मूवमेंट ने 17 साल पूरे किए।
उनकी कोशिशों से कई जगह रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए और नदी जल संग्रहण को बढ़ावा मिला। उन्होंने मंत्री गजेंद्र शेखावत और सी.आर. पाटिल जैसे नेताओं से मिलकर नदी संरक्षण पर चर्चा की।
सम्मान और पुरस्कारों की लंबी सूची
2020 में जलशक्ति मंत्रालय ने उन्हें “वॉटर हीरो” का खिताब दिया और 2023 में “जल प्रहरी” घोषित किया। 2021 में उनकी “जल चालीसा” के लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और OMG बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने उन्हें “ग्रैंड मास्टर” का खिताब दिया। 2023 में ICFAI यूनिवर्सिटी सिक्किम ने उन्हें “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” दिया और 2024 में बक्सवाह सम्मान समारोह भोपाल में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
2022 से वो UNAccc (Unity of Nations Action for Climate Change Council) के लिए ग्लोबल SDG एंबेसडर हैं और SDG 4 और SDG 6 के डायरेक्टर के रूप में हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल और ओडिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कई सरकारी और एन.जी.ओ. वेबिनार्स में स्पीकर के तौर पर हिस्सा लिया।
मीडिया के ज़रिए लोगों को किया जागरूक
रमेश गोयल ने टीवी, रेडियो, प्रिंट मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सही उपयोग करते हुए पानी बचाने का संदेश दिया। उन्होंने कभी इसे पर्सनल पब्लिसिटी के लिए इस्तेमाल नहीं किया।
उनके इंटरव्यू DD न्यूज़, ज़ी न्यूज़, दूरदर्शन नेशनल, डिशा टीवी, ख़बर फास्ट, हरियाणा टुडे जैसे चैनलों पर आए। खास बात ये रही कि वो 2016 में वर्ल्ड वॉटर डे पर डीडी नेशनल के Good Evening India शो में लाइव आए थे।
रेडियो पर भी वो सालों तक जुड़े रहे — जैसे आकाशवाणी 90.4 FM, जहाँ उन्होंने 2010 से 2015 तक वर्ल्ड वॉटर डे पर लाइव प्रोग्राम किए। उन्होंने साप्ताहिक और मासिक बातचीत में जल-संरक्षण, ऊर्जा की बचत, प्रदूषण और पेड़ लगाने पर लगातार बातचीत की। उनके संदेश सिरसा, हिसार, करनाल, लखनऊ, भोपाल और दिल्ली जैसे शहरों में सुने गए।
उनके काम को दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, ट्रिब्यून, हिंदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया, नेशनल एक्सप्रेस, आज समाज, अमर उजाला जैसे बड़े अखबारों ने कवर किया। जल शक्ति मंत्रालय की मैगज़ीन “जल चर्चा” ने भी दिसंबर 2019 में उन्हें फीचर किया। उन्होंने अमेरिका और नेपाल में भी लेक्चर दिए — जहां उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और जल-संरक्षण पर बात की।
किताबों और पब्लिकेशंस के ज़रिए जागरूकता
उन्होंने “जल चालीसा” नाम की बुक लिखी, जिसे 2012 में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने रिलीज़ किया। इसके 75,000 कॉपीज़ छपीं और सोशल मीडिया पर इसे 10 लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाया गया। इसका दूसरा वीडियो उड़ीसा के गवर्नर प्रो. गणेशी लाल ने और चौथा वीडियो सतपाल महाराज (उत्तराखंड मंत्री) ने रिलीज़ किया। इसे 36 भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया — जिसमें इंग्लिश, फ्रेंच और नेपाली भी शामिल हैं।
उनकी दूसरी किताब “बिन पानी सब सून” को 2010 में हरियाणा के गवर्नर ने लॉन्च किया था। अगली किताब “क्यों और कैसे बचाएं जल” आने वाली है। उन्होंने “जल मनका” नाम से एक और रचना की है जिसमें 108 चौपाइयाँ हैं, जिसे नितिन गडकरी ने 2022 में लॉन्च किया।
उन्होंने 3.5 लाख से ज़्यादा पैंफलेट्स बाँटे और 2,500 से ज़्यादा बैनर और फ्लेक्स स्कूलों, कॉलेजों और पब्लिक जगहों पर लगाए।
सरकार और संस्थाओं से मान्यता
हरियाणा सरकार ने भी उनके काम को माना। 2011 में उन्हें सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के डिस्ट्रिक्ट एडवाइजरी कमिटी में नॉन-गवर्नमेंट मेंबर बनाया गया। 2017 में स्टेट टेक्निकल कमिटी फॉर वेटलैंड कंज़र्वेशन और 2022 में अटल भूजल योजना के लिए भी एडवाइजर नियुक्त किया गया। 2025 में उन्हें PM-सूर्यघर योजना की डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी में नामित किया गया।
उन्हें मिले बड़े सम्मान:
- जल स्टार अवॉर्ड (2011)
- डायमंड ऑफ इंडिया अवॉर्ड
- जेम ऑफ इंडिया अवॉर्ड
- राष्ट्र रत्न अवॉर्ड
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्र निर्माण अवॉर्ड
- आगरा रत्न अवॉर्ड (2018)
- सिरसा गौरव सम्मान (2019)
- जल रक्षक (2020)
- वॉटर वॉरियर अवॉर्ड (2022)
- पर्यावरण श्री (2023, वर्ल्ड एनवायरनमेंट काउंसिल)
- वृक्ष रत्न सम्मान (2021)
- भारत माता अभिनंदन सम्मान (2021)
- स्पॉटलाइट अवॉर्ड (2022)
- निर्मला जल संरक्षण सरस्वती शिरोमणि सम्मान
- प्रज्ञा साहित्य सर्जन सम्मान
- क्रांति धारा साहित्य अकादमी, मेरठ से विशेष सम्मान
रमेश गोयल आज भी पूरे जोश से पानी बचाने की मुहिम में लगे हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक गहरी छाप छोड़ रहे हैं। उनका काम ये दिखाता है कि एक अकेला इंसान भी अगर ठान ले, तो पूरी दुनिया में बदलाव ला सकता है।