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RE-DO ज्वेलरी: एक स्टूडियो जो पूर्वजों के गहनों को नया जीवन देकर टाइमलेस खजाने बनाता है

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हर व्यवसाय बड़े सपनों या योजनाओं के साथ शुरू नहीं होता। कभी-कभी, कोई वैल्यूएशन नहीं होता, कोई निवेशक प्रेजेंटेशन नहीं होता, न ही कोई वायरल कैंपेन। बस एक ऐसा पल होता है जो आपको बेचैन कर देता है। एक ऐसा पल जो आपकी अंतरात्मा में गूंजता रहता है और आपको इसे अनदेखा करने नहीं देता।

ज्वेलरी आर्किटेक्ट सपना खंडेलवाल की कहानी भी इसी तरह शुरू हुई। वर्षों से उन्होंने कई परिवारों को अपनी ज्वेलरी दुकान में आते देखा, जो अपने पूर्वजों के गहनों को पिघलवाने के लिए आते थे। सोना या चांदी, जिसमें पीढ़ियों की यादें, भावनाएं और कला बसी होती थी, उसे पिघलाकर कुछ “स्लीक” और “मॉडर्न” बनाने के लिए दिया जाता था। यह उन्हें सही नहीं लगा। कुछ ऐसा था जैसे इतिहास को मिटते हुए देखना, हमारी पहचान के एक हिस्से को खोना।

“अतीत को पिघलाओ मत। उसे पुनः कल्पना करो। यही विरासत को जीवित रखता है।” — सपना खंडेलवाल

वे व्यवसाय बनाना नहीं चाहती थीं। वह उन यादों, कहानियों, और भारतीय कारीगरी की प्रतिभा को बचाना चाहती थीं। यही इच्छा RE-DO ज्वेलरी में तब्दील हुई, एक ऐसा स्टूडियो जहां पुराने गहनों को नया जीवन दिया जाता है। पर यह सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि शिल्प की पुनरुद्धार की प्रक्रिया है।

एक ऐसी दुनिया में जो हमेशा नई चीज़ों के पीछे भागती है, सपना ने पुरानी विरासत को बचाने का निर्णय लिया। और इस निर्णय ने कुछ ऐसा बनाया जो कालजयी है।

सपना खंडेलवाल, रिवाइवलिस्ट

हम हर दिन कई लोगों से मिलते हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा कोई मिल जाता है जो अपने होने के तरीके से एक स्थायी छाप छोड़ देता है, और सपना खंडेलवाल उनमें से एक हैं। उनकी खूबसूरती, उनके खूबसूरत साड़ियों, आकर्षक गहनों और उनकी बड़ी बिंदी के साथ वे एक यादगार छवि हैं। लेकिन उनके सौंदर्य से परे कुछ और गहरा है — बुद्धिमत्ता और एक शांत आत्मविश्वास। उनके व्यवहार में एक स्थिरता है। जो सबसे ज्यादा याद रहता है वह उनकी ज़मीन से जुड़ी होने की भावना है।

लेकिन उनकी यह शांति उन पलों पर आधारित है जो बिलकुल शांत नहीं थे।

1994 में, जब RE-DO अभी अस्तित्व में नहीं था, उनके मुंबई के पैतृक घर में छह हथियारबंद लोग घुसे। उस दिन 15 से अधिक मेहमान पूजा के बाद भी घर में थे। अचानक, वे सभी — उनकी तत्कालीन परिवार और छह साल के बेटे सहित — बंदूक की नोक पर ले लिए गए। उस भयानक क्षण में, उनके भीतर किसी अज्ञात शक्ति ने जन्म लिया। उन्होंने परिवार और खतरे के बीच खुद को रखा और बिना हथियार के लड़ाई लड़ी। जल्द ही उनके पिता भी आए, और कुछ “दैवीय कृपा” से वे सभी बच गए।

सपना की बहादुरी की सराहना हुई, पर वे अंदर से टूट चुकी थीं। उन कठिन दिनों में उन्होंने अपने आप को वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता की शाश्वत ज्ञान में ढूंढा। उनके गुरुओं की शिक्षाएं, जिन्होंने शास्त्रों को सरल और व्यावहारिक रूप में समझाया, उनका सहारा बनीं और उन्होंने अपने जीवन का मिशन पाया — सनातन धर्म के साथ नैतिकता और आंतरिक शक्ति के साथ जीना और नेतृत्व करना।

“एक विचार को अपना लो। उसे अपनी ज़िंदगी बना लो। उसका सपना देखो, उस पर जियो। तुम्हारा दिमाग, मांसपेशियां, नसें, और शरीर का हर हिस्सा उस विचार से भरा हो।” — स्वामी विवेकानंद

यह दर्शन उनके साथ रहा, बढ़ा और सालों बाद, जब उन्होंने अपने गहनों की दुकान में क्लाइंट्स को अपने पूर्वजों के गहनों को पिघलाने के लिए आते देखा, तो कुछ फिर से बदल गया। तब उन्हें अपने असली उद्देश्य का एहसास हुआ। RE-DO सिर्फ गहनों को नया रूप देने के लिए नहीं बनी, बल्कि भारतीयता, उसके मूल्यों, कारीगरों की विरासत, ग्राहकों की भावनाओं और बुजुर्गों की गर्व से पहनी गई कहानियों को बचाने के लिए बनी।

एक रिवाइवलिस्ट का सफर

सपना खंडेलवाल के लिए बिज़नेस पैदाइशी है। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जहाँ उनके पिता ने मुम्बई, नैरोबी और लंदन जैसे शहरों में बेहतरीन नौकरियाँ करने के बावजूद, हमेशा कुछ नया शुरू करने का जज़्बा रखा। वह काम के साथ-साथ नए वेंचर्स पर एक्सपेरिमेंट करते रहते थे — यही आदत बचपन से ही सपना की सोच को आकार देती गई।

लेकिन सिर्फ बिज़नेस माइंडसेट ने ही सपना को प्रेरित नहीं किया। उनकी ग्लैमरस और बिंदास माँ भी उनके लिए एक गहरी प्रेरणा रहीं — हमेशा खूबसूरत साड़ी में सजी, स्टाइलिश ज्वेलरी पहने हुए, और माथे पर बोल्ड बिंदी। माँ ने स्कूल पूरा नहीं किया था और ना ही उन्हें इंग्लिश आती थी, लेकिन उन्होंने सपना और उनके भाई से बात करके इंग्लिश खुद सीखी। आत्मविश्वास और डिटरमिनेशन से भरी यह ग्रोथ की चाहत, सपना के लिए बहुत बड़ी सीख बनी — बिना शर्म या माफी के आगे बढ़ने की।

बचपन में, सपना अपनी माँ की ज्वेलरी से मोहित रहती थीं — खनकती चूड़ियाँ, विरासत की कुंदन ज्वेलरी, खूबसूरत हार और छह गज की एलीगेंस में लिपटी परंपरा। ये दृश्य उनके दिल-दिमाग में बसते गए और पारंपरिक क्राफ्ट व डिज़ाइन के प्रति उनका प्यार यहीं से जन्मा।

फिर आया साल 1985, और सब कुछ बदल गया। महज़ 19 साल की उम्र में, सेंट ज़ेवियर्स, मुंबई में माइक्रोबायोलॉजी पढ़ते हुए, सपना की शादी दिल्ली के एक बड़े और संपन्न संयुक्त परिवार में हो गई। चार पीढ़ियाँ, एक ही छत के नीचे 25 लोग, एक ही किचन — एक पूरी तरह अलग दुनिया, जिसमें परंपराएं, मूल्य और कम्यूनिटी लाइफ थी, जिसने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

उसी साल, उनके पिता ने भी एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने इंजीनियरिंग को छोड़कर लंदन में जेमस्टोन और डायमंड ट्रेडिंग की दुनिया में प्रवेश किया, और बाद में मुम्बई में डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट शुरू की। सपना घंटों कारीगरों के पास बैठकर देखा करतीं — कैसे एक कच्चा पत्थर चमक में बदल जाता है। तब शायद उन्हें अहसास नहीं था कि उनका भविष्य यहीं आकार ले रहा था।

“अधिकतर घरों में बच्चे पहले आते हैं, डायमंड बाद में,” वह हँसते हुए कहती हैं, “मेरे यहाँ दोनों साथ आए और सिखा गए कि कैसे चमक और नींद की कमी को साथ मैनेज किया जाए।”

बेशक, उनके पिता और भाई ने बाद में उन्हें डायमंड होलसेल और ट्रेडिंग में गाइड किया, लेकिन ज्वेलरी उनके लिए एक ऐसा विरासत थी जिसे उन्होंने खुद गढ़ने का फैसला किया। उन्होंने दिल्ली में एक बुटीक से शुरुआत की, जहाँ साड़ी और ब्लाउज़ सप्लाई करती थीं। लेकिन दिल की आवाज़ उन्हें कुछ ज़्यादा अर्थपूर्ण की ओर खींचती रही।

पति के शांत समर्थन और सास के निःस्वार्थ सहयोग — जो बड़े संयुक्त परिवार को पूरे प्यार से संभालती थीं — के साथ, सपना को पंख मिल गए। पिता और भाई के साथ मिलकर, उन्होंने दिल्ली के खान मार्केट में बॉन्ड स्ट्रीट ज्वेलर्स लॉन्च किया। माँ, परंपरा और प्रोफेशनल ट्रेनिंग को बैलेंस करते हुए, सपना ने GIA (Gemological Institute of America) से डायमंड ग्रेडिंग और डिज़ाइन में औपचारिक ट्रेनिंग ली। लेकिन RE-DO JEWELLERY की नींव कुछ अलग थी। यहाँ उन्हें वो सब एक साथ जोड़ने का मौका मिला जिसे वह सबसे ज़्यादा मानती हैं — परंपरा, एथिक्स और क्रिएटिविटी।

25+ साल की एक्सपर्टीज वाली ज्वेलरी आर्किटेक्ट

शुरुआत में, क्लाइंट्स को यह समझाना ही एक बड़ी चुनौती थी कि वे अपनी विरासत की ज्वेलरी को गलाएं नहीं। सपना को धीरे-धीरे लोगों की सोच बदलनी पड़ी, और उन्हें यह दिखाना पड़ा कि उनके पास जो है, उसमें ही कितना इमोशनल और कल्चरल वैल्यू छिपा है। “हर मुश्किल ने मेरी विजन को रिफाइन किया। हर ‘ना’ मेरे लिए एक नई चुनौती, एक नया ऑफरिंग बन गया,” सपना कहती हैं।

एक खास ऑफरिंग आज भी उन्हें याद है: एक क्लाइंट की 50वीं वेडिंग ऐनिवर्सरी के लिए, RE-DO ने 26 अलग-अलग ज्वेलरी पीसेज़ से एक हार बनाया — हर एक पीस किसी इमोशन से जुड़ा था। एक भी गहना पिघलाए बिना, उनकी टीम ने वह हार तैयार किया जिसे क्लाइंट ने “मेमोरीज़ का नेकलेस” कहा। आँसू बह निकले। सपना के लिए, यही उनकी सबसे बड़ी कमाई थी।

“हम सिर्फ गोल्ड के साथ नहीं काम करते, हम उन चीजों के साथ काम करते हैं जो कालजयी हैं: मेमोरी, इमोशन और धर्म।”

आज RE-DO Jewellery में, वह सिर्फ डिज़ाइन नहीं करतीं — वह सुनती हैं, जीवंत करती हैं, और पुनर्जीवित करती हैं। “मेरे लिए एक ज्वेलरी आर्किटेक्ट का रोल यह है कि मैं जो बीत चुका है उसे सम्मान दूँ, जो है उसे अपनाऊँ, और जो हो सकता है उसे गढ़ूँ।”

एथिक्स, ट्रडिशन, और टाइमलेस डिज़ाइन

RE-DO में हर डिज़ाइन की शुरुआत होती है विरासत के लिए एक गहरे सम्मान से। सपना ब्रैंड के स्टाइल को “क्वायटली रॉयल” कहती हैं। वैदिक ज्योमेट्री, टेम्पल मोटिफ्स और ट्रेडिशनल फॉर्म्स में रूटेड ज्वेलरी को मॉडर्न लाइफ के हिसाब से रीइमॅजिन किया जाता है।

सपना एक क्लायंट को याद करती हैं, जो एक पुरानी रिंग लेकर आया, जिसे यह भी नहीं पता था कि उसमें अंदर एक इन्स्क्रिप्शन है — उसके दादाजी का नाम और 1932 की वेडिंग डेट। “हर पीस एक स्टोरी है — पास्ट और प्रेज़ेंट के बीच, सिर्फ ब्यूटी की नहीं, बल्कि बिलॉन्गिंग की भी,” सपना कहती हैं।

RE-DO Jewellery को बाकी सबसे अलग बनाता है उसका स्टोरीज़ के लिए गहरा सम्मान। इस स्टूडियो का काम एक क्लियर फिलॉसफी पर बेस्ड है: पास्ट को मेल्ट मत करो, उसे रीइमॅजिन करो; स्पार्कल के पीछे की स्टोरी को ऑनर करो; और एथिक्स को रियल लग्ज़री बनाओ। RE-DO का मतलब है — रिवाइवल, रिस्पेक्ट और राइटियसनेस।

“इंटेग्रिटी ही सबसे बड़ी लग्ज़री है। फैशन फेड हो जाता है, ट्रस्ट बना रहता है।”

इसका मतलब है — हीरलूम्स, इंडियन कारीगरी और भूले-बिसरे क्राफ्ट्स को रिवाइव करना; इमोशन, हेरिटेज और सस्टेनेबल लग्ज़री को रिस्पेक्ट करना; और बिज़नेस में राइटियसनेस, जहाँ हर डिसीजन धर्म के अनुसार लिया जाता है।

हर क्लायंट द्वारा लाया गया पीस बहुत केयर से हैंडल किया जाता है — इमोशनली और मटेरियली दोनों तरह से। सनातन वैल्यूज़ में रूटेड लेकिन थिंकिंग में मॉडर्न, RE-DO क्लायंट्स को अपनी ज्वेलरी को एक नया और मीनिंगफुल नजरिया देता है। इसका एथिकल प्रोसेस ये सुनिश्चित करता है कि क्लायंट्स कभी ओवरपे या अंडरवैल्यू न करें जो उनके पास पहले से है।

ब्रैंड गोल्ड, डायमंड, पोल्की, कुंदन और सिल्वर के साथ काम करता है — लेकिन जैसा सपना कहती हैं, उनका असली रॉ मटेरियल है इंटेग्रिटी और इंटेंशन।

RE-DO की कोर ऑफरिंग्स

  • हीरलूम रेडिज़ाइन: ट्रेडिशनल गोल्ड, डायमंड, पोल्की, कुंदन और डायमंड पीसेज़ को प्रिज़र्व और ट्रांसफॉर्म करना
  • रिपेयर & क्लीनिंग: टूटी हुई ज्वेलरी को फिनेस से फिक्स करना। टार्निश्ड ज्वेलरी की रोडियम पॉलिशिंग।
  • कस्टमाइज़ेशन: क्लायंट की प्रेफरेंसेज़ के अनुसार को-डिज़ाइनिंग
  • कुंदन कलेक्शन: लिमिटेड-एडिशन, इन-हाउस क्राफ्टेड पीसेज़
  • स्टेशन नेकलेसेज़: स्टाइलिश, ट्रैवल-फ्रेंडली लग्ज़री
  • सॉलिटेयर एक्सटेंशंस: एलिगेंट, अफोर्डेबल, डिटैचेबल ऐडऑन्स
  • ज्वेलरी एग्ज़ामिनेशन: लिगेसी अंडरस्टैंडिंग से लेकर रेडिज़ाइन प्लानिंग तक
  • हीरलूम्स रीइमॅजिन्ड: बिफोर & आफ्टर बाय RE-DO

RE-DO हर ज्वेलरी पीस को एक नई कहानी के रूप में देखता है, जिसे फिर से सुनाया जा सकता है। यहाँ कोई भी पीस ‘वेस्ट’ नहीं माना जाता। स्टुडियो हर हीरलूम को इस तरह से रीडिझाईन करता है कि उसकी आत्मा बनी रहे, और साथ ही वो आज के दौर में पहनने लायक और रिलिवंट हो जाए।

एक टूटा हुआ कड़ा एक स्टेटमेंट रिंग का बेस बन जाता है। एक पुरानी, छोटी हो चुकी नेकलेस को thoughtfully कन्वर्ट किया जाता है एलिगेंट इयरिंग्स में। मिसिंग स्टोन्स को ध्यान से रीसॅट किया जाता है, और डिज़ाइन्स को डेली वेअर के लिए रिफाईन किया जाता है। ओरिजिनल पीस की क्राफ्ट्समॅन्शिप और इमोशन के लिए डीप रिस्पेक्ट के साथ, सपना अपने क्लायंट्स को उनके हेरिटेज से फिर से कनेक्ट करने में मदद करती हैं।

एक मल्टी-टॅलेंटेड लेडी

सपना कई भूमिकाएं निभाती हैं — माँ, दादी, आंत्रप्रेन्योर, सांस्कृतिक पुनरुद्धार की समर्थक, कम्युनिटी लीडर और भारतीय संस्कृति की एक स्ट्रॉंग वॉइस।

उनका सफर कई प्रमुख माइलस्टोन और मान्यताओं से भरा है:

  • ‘Carat Plus’ की फाउंडर (1998)
  • ‘RE-DO JEWELLERY’ की फाउंडर (2008)
  • ‘India Saree Challenge’ की क्रिएटर — एक फेसबुक ग्रुप जिसमें 25,000+ मेंबर्स हैं, महिलाओं को भारतीय साड़ी पहनने के लिए मोटिवेट करता है (2015)
  • ‘Unleash the Shakti Within’ की ऑथर — एक सेल्फ-हेल्प मोटिवेशनल अमेझॉन बेस्टसेलर (2019)
  • ‘Devditi Foundation’ की को-फाउंडर — फोकस: कल्चरल रिवाइवल और वीमेन एम्पावरमेंट (2015)
  • ‘Vedic Footprints’ यूट्यूब चैनल की क्रिएटर — जहाँ उन्होंने वाल्मीकि रामायण और महाभारत पर 450+ सेशन्स किए हैं (2020)
  • 100 से ज़्यादा आर्टिकल्स की लेखिका, जिनमें कविताएं भी शामिल हैं
  • ‘All Ladies League’ में ‘Reviving Traditions’ की नॅशनल चेयरपर्सन
  • ‘FICCI Ladies Organisation’ की लाइफ मेंबर

ये अचीवमेंट्स उनके ट्रेडिशन, कल्चर और एम्पावरमेंट के प्रति कमिटमेंट को दर्शाते हैं — लग्ज़री ज्वेलरी के काम के साथ-साथ।

उनकी प्रेरणाएँ

सपना की शक्ति और इंस्पिरेशन के कई स्रोत हैं। उनके गुरु, माता-पिता, और भारत के शास्त्रों की प्राचीन बुद्धि उनके लिए एक गाइडिंग कंपास की तरह हैं। उन्हें अपने दस लोगों के संयुक्त परिवार से भी अपार शक्ति मिलती है, जिसमें चार पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे साथ रहती हैं — सिर्फ किचन ही नहीं, बल्कि वैल्यूज़, जिम्मेदारियाँ और रिश्ते भी साझा करती हैं।

एक नई बहू के रूप में अपने ससुराल में रहने से लेकर आज एक वायब्रंट मल्टीजनरेशन हाउसहोल्ड की मॅट्रिआर्क बनने तक, सपना का सफर साइलेंट स्ट्रेंथ और अटल जिम्मेदारी से परिभाषित होता है। उन्होंने न सिर्फ अपने बेटे-बेटी को प्यार से पाला, बल्कि अपने देवर के दो बच्चों — एक बेटा और एक बेटी — को भी, जब उनकी माँ का 25 साल पहले असमय निधन हो गया था।

पूरा संयुक्त परिवार इन चारों बच्चों को कॉन्फिडेंट, कंपॅशनेट एडल्ट्स बनाने में एकजुट रहा। आज दोनों बेटियाँ शादीशुदा हैं और अपनी फैमिली के साथ सेटल हैं। दोनों बेटे, उनकी पत्नियाँ, सपना, उनके पति और उनके जेठ एक ही घर में रहते हैं — अब चार छोटे पोते-पोतियों को एक साथ पाल रहे हैं।

जैसा कि सपना कहती हैं, “लीडरशिप की शुरुआत घर से होती है, जहाँ विनम्रता, बुद्धि और ज़िम्मेदारी को हर दिन जीया जाता है, सिर्फ बोला नहीं जाता।”

उनका घर इस फिलॉसफी का जीता-जागता उदाहरण है — जहाँ प्रेम, दृढ़ता और सहज लीडरशिप पीढ़ी दर पीढ़ी बहती है।

वो अक्सर भगवद गीता का यह श्लोक दोहराती हैं:

“यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।

स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥”

“जो जैसा आचरण करता है, लोग वैसा ही अनुसरण करते हैं। जो भी स्टॅंडर्ड वो सेट करता है, दुनिया उसका पालन करती है।”

सपना कहती हैं, “अगर आप सच में रोल मॉडल बनना चाहते हैं, तो वैल्यूज़ सिर्फ प्रीच मत कीजिए — उन्हें हर ऐक्शन में जीइए।”

आगे का रास्ता

जैसे-जैसे आभूषणों की दुनिया विकसित होती रहती है, RE-DO भविष्य पर केंद्रित रहता है।

सपना मानती हैं कि आभूषणों का अगला चरण गहराई से व्यक्तिगत और गहराई से जागरूक होगा। “हम उस समय में प्रवेश कर रहे हैं जहां परंपरा और तकनीक साथ-साथ चलेंगी,” वह कहती हैं। आभूषण ब्लॉकचेन प्रमाणित उत्पत्ति के साथ डिजिटल विरासत कार्ड और व्यक्तिगत परिवार की कहानी के समावेश को लेकर आएंगे। कल्पना करें एक कंगन जिसमें QR कोड लगा हो जो आपके परिवार की विरासत, फोटो संग्रह या हस्तलिखित नोट्स को प्रकट करता हो।

एक और महत्वपूर्ण बदलाव जिसे सपना ‘आध्यात्मिक फाइन ज्वेलरी’ कहती हैं, जो आंतरिक संरेखण के लिए होगी। “हम देखेंगे कि अधिक कस्टम परामर्श होंगे जो वैदिक ज्योतिष और इरादे की स्थापना के आधार पर आध्यात्मिक रूप से संरेखित डिजाइनों की पेशकश करेंगे।”

परिपत्र लक्ज़री (सर्कुलर लक्ज़री) की अवधारणा भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। नए खरीदने के बजाय, ग्राहक जो पहले से उनके पास है उसे पुन: उपयोग कर रहे हैं, पुराने आभूषणों को पुनः डिज़ाइन करके कालजयी, पहनने योग्य विरासत बना रहे हैं।

RE-DO पहले से ही इस भविष्य की तैयारी कर रहा है। इसका आगामी वर्चुअल डिज़ाइन लैब पूरे विश्व के NRI ग्राहकों को अनुकूलित पुन: डिज़ाइन, वीडियो परामर्श, CAD पूर्वावलोकन और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के साथ सेवा देगा। ‘द लेगेसी लॉकर’ हर पीस के लिए डिजिटल कहानी कहने वाला प्लेटफ़ॉर्म होगा, जिसमें QR कोड और लिखित कथाएं शामिल होंगी।

अगली पीढ़ी के लिए कार्यशालाएं भी आने वाली हैं, जो जागरूक उद्यमिता, व्यापार नैतिकता और पारंपरिक कारीगरी पर केंद्रित होंगी। और राजस्थान के मीनाकारों से लेकर बंगाल के फ़िलीग्री कारीगरों तक भूले-बिसरे कारीगरों के समूहों के साथ सहयोग के माध्यम से, RE-DO दुर्लभ तकनीकों को संरक्षित करने और सतत आजीविका सृजित करने की उम्मीद करता है।

“पांच वर्षों में,” सपना कहती हैं, “मैं RE-DO को भारत का सबसे विश्वसनीय विरासत पुनरुद्धार स्टूडियो देखती हूं, जो जागरूक लक्ज़री, सांस्कृतिक आत्मविश्वास और नैतिक शिष्टता के लिए एक गंतव्य होगा।”

नेतृत्व मंत्र

लक्ज़री क्षेत्र में उभरते उद्यमियों के लिए सपना की सलाह सरल और दिल से है:

“आपको किसी शानदार डिग्री की ज़रूरत नहीं है। मैंने कॉलेज पूरा नहीं किया, लेकिन रोज़ सीखती रही। अगर मैं इस रास्ते पर चल सकती हूं, दर्द, जल्दी शादी, और औपचारिक शिक्षा पूरी न करने के बावजूद, तो आप भी कर सकते हैं।”

एक ऐसा सबक जो सपना चाहती थीं कि वह जल्दी सीखतीं? “कम अधिक है।” अपनी यात्रा की शुरुआत में, वह ग्राहकों को विकल्पों से अभिभूत कर देती थीं। आज, एक वास्तुकार की तरह, वह स्पष्टता, कहानी और शैली के आधार पर एक या दो शक्तिशाली दिशा सुझाती हैं। “सच्चा कौशल” वह कहती हैं, “जानना है कि क्या नहीं करना।”

वह दूसरों को अपने कौशल और हुनर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, बुद्धिमानी से चुनाव करने को कहती हैं क्योंकि “वे आपकी ज़िन्दगी को आकार देते हैं।” उनके अनुसार, धर्म के मार्गदर्शन में निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। “आपको परिवार और महत्वाकांक्षा के बीच चयन नहीं करना पड़ता। दोनों को मिलाएं। और सबसे महत्वपूर्ण, व्यवसाय करते हुए विश्वास आपकी असली मुद्रा है।”

सपना अक्सर कर्तव्य (दायित्व) के बारे में बात करती हैं, अधिकारों की मांग के बजाय। उनका मानना है कि सच्चा सशक्तिकरण अधिकार मांगने से नहीं, बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने से आता है।

“जड़ को सम्मान दें, भविष्य का पोषण करें — यही आपके पूर्वजों और भारत के प्रति आपका पवित्र कर्तव्य है।”

लक्ज़री और विरासत की पुनः परिभाषा

RE-DO JEWELLERY की फाउंडर-सीईओ के रूप में सपना केवल एक व्यवसाय नहीं चलातीं; वह एक आंदोलन चलाती हैं। एक ऐसा आंदोलन जो सौंदर्यशास्त्र से कहीं अधिक गहराई में जाकर मूल्यों पर आधारित है:

सततता: “जब हमारे अपने घरों में इतना सोना उपयोग न होकर पड़ा है, तो और क्यों खोदा जाए?” वह पूछती हैं। RE-DO सचेत उपभोग को बढ़ावा देता है, पुनः उपयोग के माध्यम से लक्ज़री की पुनः परिभाषा करता है।

भावना की गति पर प्राथमिकता: तेज फैशन और डिस्पोजेबल डिज़ाइनों के युग में, सपना प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं ताकि दागिनों के भावनात्मक महत्व को सम्मानित किया जा सके।

अर्थपूर्ण सस्ती कीमत: मौजूदा टुकड़ों को बदलकर, ग्राहक नए दागिनों पर लाखों खर्च करने से बचते हैं और कुछ अधिक मूल्यवान पाते हैं: अपनी विरासत से जुड़ाव।

“दागिने में यादें होती हैं। जब आप उसे फिर से डिज़ाइन करते हैं, तो आप केवल उसका रूप बदल नहीं रहे होते। आप ऊर्जा जारी कर रहे होते हैं। आप इतिहास का सम्मान कर रहे होते हैं,” वह साझा करती हैं।

यह दर्शन सपना की भारतीय ज्ञान, विशेषकर भगवद् गीता में गहरी जड़ों से जुड़ा है। उनका मंत्र इसके शिक्षण को दोहराता है: “योगः कर्मसु कौशलम्” — “योग कर्म में निपुणता है।” डिज़ाइन, कर्तव्य या दैनिक जीवन में उत्कृष्टता की यह खोज उनकी दिशा है।

“आज के लोग अनंत रूप से पैसे, असंतोष, बुरे रिश्तों या जीवन के न चलने की शिकायत करते रहते हैं,” वह कहती हैं। “मेरा मंत्र सरल है: कोई शिकायत नहीं। इसके बजाय उठो, काम करो, और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ रचनात्मक करो। समाधान पर ध्यान दो। मुस्कुराते हुए, उत्साह के साथ और गहरी कृतज्ञता के साथ जियो।”

वह दूसरों की भलाई में योगदान देने में विश्वास रखती हैं — देने वाली बनो, मुस्कान लाओ, जहाँ भी मदद कर सकें मदद करो, और जो कुछ भी पुनर्जीवित कर सकती हों वह करो। “मैं केवल एक माध्यम हूँ,” वह नम्रता से कहती हैं। “कुछ पहल और सेवाएँ मेरे माध्यम से बहने के लिए होती हैं ताकि हमारे राष्ट्र भारत की महिमा बढ़े और दूसरों को लाभ मिले।”

यह दृष्टिकोण न केवल उनके व्यवसाय में, बल्कि उनके जीवन में भी घुला-मिला है।

“हमारे समय में, हर कोई अपने अधिकारों का चक्कर लगाता है। लेकिन अधिकार तभी आते हैं जब आपने अपने कर्तव्यों को पूरा किया हो,” वह कहती हैं, स्वामी विवेकानंद के शब्दों को दोहराते हुए: “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”

उनका दृष्टिकोण दृढ़ता से विरासत में जड़ा है, पर उनका नजरिया भविष्य की ओर है। सोलिटेयर एक्सटेंशन पीस से लेकर फाइन सिल्वर स्टेशन नेकलेस तक, Gen Z दुल्हनों के लिए ब्राइडल सेट की पुनः कल्पना करते हुए, सपना परंपरा और ट्रेंड को सहजता से मिलाती हैं।

“हर महिला अपने अतीत पर गर्व महसूस करने और अपने भविष्य के लिए उत्साहित होने की हकदार है,” सपना कहती हैं। और ठीक यही RE-DO उन्हें एक-एक ज्वेलरी बनाकर करने में मदद करता है।

अंत में, जब कोई टुकड़ा RE-Done होता है, तो केवल ज्वेलरी ही नहीं चमकती। वह आप होते हैं।

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