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क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट को वोलाटाइल मार्केट में कैसे सुरक्षित रखें

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क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया जितनी रोमांचक है, उतनी ही अनप्रेडिक्टेबल भी। इसकी तेजी से बढ़ती पॉपुलैरिटी के बावजूद, बहुत से इन्वेस्टर्स अभी भी सतर्क हैं—वे इसमें मौजूद संभावनाओं को देख तो रहे हैं, लेकिन लिमिटेड रिस्क ही लेना चाहते हैं।

चाहे आप कितनी भी तैयारी कर लें, क्रिप्टो में इन्वेस्ट करना एक रिस्की गेम है क्योंकि इसकी मार्केट बहुत ज़्यादा वोलाटाइल रहती है। हमेशा एक रिस्क तो रहेगा ही, लेकिन आपकी सक्सेस इस बात पर डिपेंड करती है कि आप कितना रिस्क झेल सकते हैं। नीचे दिए गए पॉइंट्स आपको यह समझने में मदद करेंगे कि इस वोलाटाइल मार्केट में अपनी क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट को कैसे सुरक्षित रखा जाए।

1. अच्छे से रिसर्च करें

क्रिप्टो मार्केट में सक्सेसफुल बनने के लिए आपको टाइम, एफर्ट और थोड़े बहुत फाइनेंशियल रिसोर्सेस देने होंगे अपनी रिसर्च में। किसी भी क्रिप्टोकरेंसी को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने से पहले उसकी टेक्नोलॉजी और यूज़ केस को समझना बहुत ज़रूरी है।

इसके अलावा, किसी भी क्रिप्टो के पीछे की कंपनी या प्रोजेक्ट कौन चला रहा है, उनकी एक्सपर्टीज और क्रेडिबिलिटी क्या है, ये भी पता लगाएं। लीगल और रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क भी समझें, जिससे आपको पता चले कि आपके इन्वेस्टमेंट पर इसका क्या असर हो सकता है।

अच्छी रिसर्च आपको न केवल सही क्रिप्टो चुनने में मदद करेगी बल्कि आपको मार्केट के वोलाटिल मूवमेंट्स से भी बचा सकती है।

2. अपना इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करें

रिस्क को कम करने का सबसे बेस्ट तरीका है—डाइवर्सिफिकेशन। क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट में भी यही अप्लाई होता है। जब आप अलग-अलग क्रिप्टो असेट्स में इन्वेस्ट करते हैं—जैसे कि बिटकॉइन, स्टेबलकॉइन्स, और ऑल्टकॉइन्स, तो किसी एक कॉइन की गिरावट आपके पूरे पोर्टफोलियो को नुकसान नहीं पहुंचा सकती।

बिटकॉइन (Bitcoin) – सबसे पुराना और सबसे स्टेबल क्रिप्टो कॉइन, लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा ऑप्शन।

स्टेबलकॉइन्स (Stablecoins) – ये यूएस डॉलर जैसे स्टेबल करेंसी से जुड़े होते हैं, इसलिए वोलाटिलिटी से थोड़ा बचाव करते हैं।

ऑल्टकॉइन्स (Altcoins) – जैसे कि बायनैन्स कॉइन, सोलाना, कार्डानो। ये रिस्की होते हैं लेकिन रिटर्न्स भी अच्छे दे सकते हैं।

जितना ज़्यादा आपका पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड होगा, उतना ही ज्यादा आप मार्केट की वोलाटिलिटी झेल पाएंगे।

3. स्टॉप-लॉस और टेक-प्रॉफिट ऑर्डर्स सेट करें

स्टॉप-लॉस (Stop-Loss) एक ऐसा फीचर है जिससे आप अपने नुकसान को लिमिट कर सकते हैं। जब कोई कॉइन एक खास प्राइस से नीचे चला जाए, तो वह ऑटोमैटिकली बेच दिया जाता है। जैसे, अगर आपने कोई कॉइन ₹1500 में खरीदा है, तो ₹1300 पर स्टॉप-लॉस लगाकर नुकसान से बच सकते हैं।

टेक-प्रॉफिट (Take-Profit) ऑर्डर आपको फिक्स प्राइस पर अपना प्रॉफिट लेने में मदद करता है। जब आपकी क्रिप्टो उस प्राइस तक पहुंचती है, तो वह ऑटोमैटिकली बेच दी जाती है और आपको प्रॉफिट मिल जाता है।

मार्केट की कंडीशन के हिसाब से इन ऑर्डर्स को रेगुलरली अपडेट करते रहें।

अंतिम विचार

क्रिप्टो मार्केट में वोलाटिलिटी तो रहेगी ही, लेकिन अगर आप सही स्ट्रैटेजीज अपनाते हैं, तो आप अपनी इन्वेस्टमेंट को सेफ रख सकते हैं और लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न्स पा सकते हैं। चाहे आप अभी शुरुआत कर रहे हों या पहले से इन्वेस्ट कर रहे हों, ये टिप्स आपके लिए बेहद काम की साबित होंगी।

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