अगर आईफोन भारत में बन रहा है, तो फिर इतना महंगा क्यों है?

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पिछले कुछ वर्षों में भारत, एप्पल के लिए सिर्फ एक बड़ा बाज़ार नहीं, बल्कि एक अहम मैन्युफैक्चरिंग हब भी बन गया है। आज एप्पल का लेटेस्ट आईफोन 16 सीरीज़ भारत में असेंबल हो रहा है, और यही डिवाइस दुनियाभर के बाज़ारों—यहाँ तक कि अमेरिका—में भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है।

तो फिर भारतीय ग्राहकों के मन में ये सवाल बार-बार आता है:

अगर आईफोन भारत में बन रहा है, तो भारत में इसकी कीमत सबसे ज़्यादा क्यों है?

सवाल वाजिब है। लेकिन जवाब सीधा नहीं है। इसमें टैक्स, इंपोर्ट ड्यूटी, एप्पल की ब्रांड पोजिशनिंग और ग्लोबल सप्लाई चेन जैसे कई पहलू शामिल हैं।

आईए इसे विस्तार से समझते हैं।

आईफोन 16: भारत बनाम दुनिया में कीमत

आईफोन 16 की कीमत भारत में और बाकी देशों में देखें, तो भारत सबसे महंगे देशों में से एक है।

भारत में कीमतें:

  • iPhone 16: ₹79,900
  • iPhone 16 Plus: ₹89,900
  • iPhone 16 Pro: ₹1,19,900
  • iPhone 16 Pro Max: ₹1,44,900

अन्य देशों में (भारतीय रुपये में कन्वर्ट करके):

  • अमेरिका: ₹67,000 से ₹1,00,657
  • दुबई: ₹77,698 से ₹1,16,559
  • जापान: ₹74,277 से ₹1,12,964
  • हांगकांग: ₹74,274 से ₹1,09,802

यानी एक ही डिवाइस पर ₹25,000 से ₹45,000 तक का फर्क। और मज़े की बात ये है कि कई बार वही फोन भारत में बन भी रहा होता है। तो ये फर्क आखिर क्यों?

“मेड इन इंडिया” का असली मतलब

हां, एप्पल अब भारत में आईफोन असेंबल कर रहा है—खासकर Foxconn और Tata Electronics जैसी कंपनियों के ज़रिए। लेकिन “असेंबल” करना और “पूरा निर्माण” करना दो अलग बातें हैं।

आईफोन के सबसे महंगे पार्ट्स, जैसे डिस्प्ले, प्रोसेसर, कैमरा सिस्टम और मेमोरी—अभी भी जापान, ताइवान, अमेरिका और साउथ कोरिया से इंपोर्ट होते हैं। यानि भारत में सिर्फ उन्हें जोड़कर फाइनल डिवाइस तैयार किया जाता है।

और यहीं से महंगाई की असली कहानी शुरू होती है।

टैक्स और ड्यूटी का बोझ

जब ये हाई-टेक पार्ट्स भारत लाए जाते हैं, तो उन पर 10% से 22% तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगती है। इसके बाद जब डिवाइस तैयार होकर मार्केट में आता है, तो उस पर 18% जीएसटी जुड़ जाता है।

इन सब टैक्स को जोड़ें तो कुल मिलाकर आईफोन की कीमत पर 35–40% तक का बोझ पड़ता है। इसके अलावा डिस्ट्रीब्यूशन, स्टोरेज और रिटेलर्स के मार्जिन अलग से होते हैं।

हालांकि सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम लॉन्च की है, लेकिन उसका असर अभी आम ग्राहकों तक नहीं पहुंचा है।

एप्पल की प्रीमियम ब्रांडिंग रणनीति

दूसरी बड़ी वजह है एप्पल की ब्रांड पोजिशनिंग।

भारत में एप्पल एक लग्ज़री ब्रांड के रूप में खुद को पेश करता है। बाकी स्मार्टफोन कंपनियां जहां कीमत घटाकर मार्केट में पकड़ बनाने की कोशिश करती हैं, वहीं एप्पल अपने प्रोडक्ट्स की एक्सक्लूसिविटी बनाए रखने के लिए कीमतें जानबूझकर ज़्यादा रखता है।

हालांकि कंपनी ईएमआई, ट्रेड-इन ऑफर और पुराने मॉडल्स की कीमतें घटाकर डिवाइस को थोड़ा सुलभ बनाती है, लेकिन फ्लैगशिप प्रोडक्ट्स की कीमत शायद ही कभी कम होती है।

ग्लोबल सप्लाई चेन का असर

Global Trade Research Initiative (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर अमेरिका भारत में बने आईफोन पर 25% टैरिफ भी लगाए, तब भी एप्पल के लिए भारत में निर्माण करना अमेरिका की तुलना में सस्ता ही रहेगा।

क्यों?

लेबर कॉस्ट: भारत में एक असेंबली वर्कर की महीने की सैलरी करीब $230 है, जबकि अमेरिका में यही आंकड़ा $2,900 तक पहुंच जाता है।

असेंबली कॉस्ट: भारत में एक आईफोन को असेंबल करने की लागत करीब $30 है, जबकि अमेरिका में यही लागत $390 होती है।

GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, एक $1,000 के आईफोन में—

एप्पल की ब्रांड, डिज़ाइन और सॉफ्टवेयर वैल्यू: $450

चिप्स, कैमरा, OLED डिस्प्ले जैसे पार्ट्स: ताइवान, जापान, साउथ कोरिया से मिलकर $80–$150–$90

भारत या चीन में असेंबली: केवल $30, यानी डिवाइस की कुल कीमत का 3% से भी कम।

यानि भारत, एप्पल के लिए एक बेहद किफायती प्रोडक्शन हब है—भले ही भारतीय ग्राहकों को इसका फायदा अभी ना मिल रहा हो।

क्या बदलाव आ रहा है? हां—धीरे-धीरे

अब अच्छी खबर ये है कि एप्पल सिर्फ असेंबली पर नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग के अलग-अलग हिस्सों को भी भारत में लाने की तैयारी कर रहा है।

1. iPhone 16 सीरीज की पूरी असेंबली भारत में

अब सिर्फ बेस मॉडल ही नहीं, बल्कि Pro और Pro Max जैसे हाई-एंड मॉडल भी भारत में असेंबल हो रहे हैं और विदेशों में एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं।

2. डिस्प्ले फैक्ट्री तमिलनाडु में

Foxconn के साथ मिलकर एप्पल तमिलनाडु में ₹12,000 करोड़ (लगभग $1.5 बिलियन) की लागत से एक डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बना रहा है।

3. चिप पैकेजिंग यूनिट उत्तर प्रदेश में

₹3,500 करोड़ के निवेश से एक नई फैक्ट्री यूपी में बन रही है, जो 2027 तक डिस्प्ले-ड्राइवर चिप्स को पैक और टेस्ट करेगी।

4. बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट प्लान

2026 तक एप्पल का लक्ष्य है कि भारत से 60 मिलियन आईफोन एक्सपोर्ट किए जाएं—जो भारत को चीन के बाद सबसे बड़ा आईफोन उत्पादन केंद्र बना सकता है।

तो क्या भारत में आईफोन सस्ते होंगे?

संक्षेप में कहें तो—धीरे-धीरे हां, लेकिन फिलहाल नहीं।

सस्ते होंगे अगर:

  • पार्ट्स का अधिकतर निर्माण भारत में होने लगे।
  • सरकार GST और ड्यूटी कम करे।
  • एप्पल भारत के लिए अलग प्राइसिंग रणनीति अपनाए।

महंगे बने रहेंगे अगर:

  • Apple अपनी प्रीमियम ब्रांड वैल्यू बनाए रखे।
  • टैक्स स्ट्रक्चर में कोई बदलाव न हो।
  • लोकल रिटेलर्स और चैनल पार्टनर्स हाई मार्जिन बनाए रखें।

निष्कर्ष: एक वैश्विक ब्रांड की भारत में कीमत

सच्चाई थोड़ी विडंबनापूर्ण है: जो आईफोन भारत में बनता है, वही विदेशों में सस्ते दाम पर बिकता है।

हालांकि भारत तेजी से एक मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बन रहा है, लेकिन जब तक डिस्प्ले, चिप्स और अन्य हाई-टेक पार्ट्स भारत में नहीं बनने लगते और टैक्स स्ट्रक्चर सरल नहीं होता, तब तक भारतीय ग्राहक को ‘मेड इन इंडिया’ का आर्थिक लाभ नहीं मिल पाएगा।

पर अच्छी खबर ये है कि हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं। हो सकता है, अगले कुछ सालों में आपका आईफोन सिर्फ भारत में बना ही नहीं हो, बल्कि उसकी कीमत भी भारत-फ्रेंडली हो।