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डिजिटल पेमेंट्स के खतरे: ऑनलाइन स्कॅम्स से कैसे बचें

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भारत की डिजिटल क्रांति ने हमारी पैसों से जुड़ी सोच और व्यवहार को पूरी तरह बदल दिया है। अब चाहे आप किसी मेट्रो शहर में रहते हों या किसी छोटे कस्बे में, आपने कभी न कभी यूपीआई, मोबाइल वॉलेट या इंस्टैंट बैंक ट्रान्सफर का इस्तेमाल ज़रूर किया होगा। पेमेंट्स अब पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज़ हो गए हैं।

लेकिन इसी सुविधा के साथ एक बड़ा खतरा भी बढ़ता जा रहा है — डिजिटल स्कॅम्स। शायद आपने भी कभी किसी संदिग्ध कॉल या मैसेज का सामना किया होगा जिसमें आपसे तुरंत पैसे ट्रान्सफर करने को कहा गया हो। दरअसल, जैसे-जैसे हमारा देश डिजिटल हो रहा है, स्कैमर्स भी उतने ही तेज़ी से एक्टिव हो गए हैं।

तो चलिए जानते हैं कि ये स्कॅम्स कैसे होते हैं, क्यों बढ़ रहे हैं, और आप खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।

ये नए स्कॅम्स आखिर हैं क्या?

पहले फ्रॉड का मतलब होता था – एटीएम कार्ड की क्लोनिंग, पासवर्ड चोरी या किसी का अकाउंट हैक हो जाना। लेकिन आजकल का स्कॅम एकदम अलग है।

अब स्कॅमर आपको मजबूर करते हैं कि आप खुद अपनी मर्ज़ी से पैसे ट्रान्सफर करें। वो आपको डराते हैं, भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हैं या किसी फेक ऑफर से लुभाते हैं। ये स्कॅम्स दिखने में बहुत असली लगते हैं — जैसे कोई पुलिस वाला, बैंक अधिकारी या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कॉल।

इसमें सबसे खतरनाक बात ये है कि ये स्कॅम आपके दिमाग के साथ खेलते हैं। आपको लगता है कि आप सही कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में आप ठगे जा रहे होते हैं।

डिजिटल स्कॅम्स के सामान्य प्रकार

इन स्कॅम्स के कई रूप हैं। नीचे कुछ आम और खतरनाक स्कॅम्स की लिस्ट है जो आजकल सबसे ज़्यादा देखे जा रहे हैं:

लीगल या टैक्स थ्रेट स्कॅम्स: आपको कॉल या मैसेज आता है कि आपने टैक्स नहीं भरा या आपके खिलाफ केस है। डर के मारे लोग तुरंत पैसे भेज देते हैं।

डिजिटल अरेस्ट स्कॅम: स्कॅमर पुलिस या सरकारी अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और धमकी देते हैं कि अगर आपने पैसे नहीं भेजे तो आपको गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। डर और घबराहट में लोग लाखों रुपये भेज देते हैं।

फेक इन्वेस्टमेंट स्कीम्स: बड़े रिटर्न्स का वादा करके इन्वेस्टमेंट का झांसा दिया जाता है। लेकिन असल में ये सिर्फ पैसा ठगने की स्कीम होती है।

रोमांस स्कॅम: कोई अजनबी ऑनलाइन दोस्ती करता है, विश्वास जीतता है और फिर इमरजेंसी का बहाना बनाकर पैसे मांगता है।

पार्सल/कस्टम डिलीवरी स्कॅम: आपको बताया जाता है कि कोई पैकेज रुका हुआ है और कस्टम चार्ज भरना है। लिंक भेजकर डिटेल्स मांगी जाती हैं या पैसे ट्रान्सफर कराए जाते हैं।

अधिकारी बनकर स्कॅम: फेक बैंक अधिकारी, पुलिस या अन्य सरकारी संस्थाओं के नाम पर लोगों से डिटेल्स और पैसे मांगे जाते हैं।

फेक जॉब या लोन स्कॅम: अच्छी सैलरी वाली जॉब या लोन का लालच देकर पहले “प्रोसेसिंग फीस” मांगी जाती है और फिर गायब हो जाते हैं।

ये स्कॅम्स इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं?

इसका सबसे बड़ा कारण है – स्पीड। यूपीआई और इंस्टैंट ट्रान्सफर से पैसे तुरंत भेजे जा सकते हैं, और एक बार भेज दिए तो वापस मिलना लगभग नामुमकिन होता है। स्कॅमर इसी का फायदा उठाते हैं और आपको सोचने का मौका ही नहीं देते।

और सिर्फ आम लोग ही नहीं, बैंक और फाइनेंशियल संस्थान भी इन स्कॅम्स से परेशान हैं। लेकिन भारत में बैंक को हर केस में पैसे लौटाने की कानूनी ज़िम्मेदारी नहीं है, जिससे नुकसान का बोझ अक्सर ग्राहक पर ही आता है।

कैसे रहें सुरक्षित?

डरने की नहीं, बस सतर्क रहने की ज़रूरत है। कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप स्कॅम से बच सकते हैं:

  • OTP या पासवर्ड किसी को न दें, चाहे वो बैंक या पुलिस वाला ही क्यों न हो।
  • इमरजेंसी में पैसे भेजने के लिए दबाव पड़े तो ठहरिए और जांच कीजिए।
  • कॉल या मैसेज का सोर्स वेरिफाइ करें। सीधे ऑफिसियल नंबर पर कॉल करें।
  • सस्पिशस लिंक या अज्ञात ऐप्स डाउनलोड न करें।
  • बैंकिंग ऐप्स की नोटिफिकेशन चालू रखें।
  • घर के बुजुर्गों और बच्चों को भी सतर्कता सिखाएं।

सरकार और बैंक क्या कर रहे हैं?

RBI ने साइबर सिक्योरिटी गाइडलाइन्स को मज़बूत किया है, बैंक से बेहतर डिटेक्शन सिस्टम लगाने को कहा है और जागरूकता कैंपेन भी चलाए जा रहे हैं। हेल्पलाइन्स और साइबर क्राइम सेल भी एक्टिव हैं, लेकिन ज़िम्मेदारी हम सबकी है।

हमारी डिजिटल सुरक्षा, हमारी ज़िम्मेदारी

डिजिटल इंडिया एक सुनहरा सपना है, लेकिन इसमें खतरे भी छिपे हैं। स्कॅमर नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम स्मार्ट बनें, सतर्क रहें और बिना जांचे कोई कदम न उठाएं।

अगर आपको कभी कोई कॉल या मैसेज संदिग्ध लगे, तो तुरंत प्रतिक्रिया न दें — सोचिए, जांचिए, फिर फैसला लीजिए।

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