भारत के डिजिटल क्रांति के अग्रणी
विजय शेखर शर्मा, एक तकनीकी उद्यमी और व्यवसायी, ने भारत के डिजिटल परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वन97 कम्युनिकेशंस के संस्थापक, चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के रूप में, जो पेटीएम की पैरेंट कंपनी है, उनका सफर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर से लेकर अरबपति उद्यमी बनने तक बेहद प्रेरणादायक है।
हालांकि, 2024 में, उन्होंने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पार्ट-टाइम नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और बोर्ड सदस्य के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जो भारतीय रिजर्व बैंक के साथ नियामक चुनौतियों से जुड़ा था।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
विजय शेखर शर्मा का जन्म 7 जून 1978 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक सामान्य परिवार में हुआ, जहाँ उनके पिता सुलोम प्रकाश शर्मा एक स्कूल शिक्षक थे और मां आशा शर्मा एक गृहिणी थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें बचपन से ही मेहनत और संघर्ष के मूल्य सिखाए।
विजय की विशेषता यह थी कि उन्होंने 15 साल की उम्र में ही कॉलेज की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी) से 19 साल की उम्र में बी.टेक की डिग्री हासिल की। यह प्रारंभिक शैक्षिक उपलब्धि उनके भविष्य के प्रयासों के लिए एक मजबूत आधार बनी।
उद्यमिता की यात्रा
विजय शेखर शर्मा की उद्यमिता यात्रा कॉलेज के समय से शुरू हुई, जब उन्होंने 1997 में indiasite.net वेबसाइट बनाई। उल्लेखनीय रूप से, उन्होंने दो साल बाद इस वेबसाइट को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बेच दिया। इतनी कम उम्र में सफलता मिलने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी अगली परियोजना पर काम करना शुरू किया।
2000 में, उन्होंने वन97 कम्युनिकेशंस की स्थापना की, जो शुरू में मोबाइल कंटेंट जैसे समाचार, क्रिकेट स्कोर, रिंगटोन, जोक्स और परीक्षा परिणाम प्रदान करती थी। उन्हें यह अंदाजा भी नहीं था कि यह उद्यम अंततः पेटीएम के रूप में विकसित होगा, जो भारत के सबसे प्रमुख डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवा प्लेटफॉर्मों में से एक बन जाएगा।
पेटीएम का जन्म
2010 में, विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम को एक उपभोक्ता ब्रांड के रूप में लॉन्च किया। पेटीएम ने भारत में डिजिटल भुगतान क्रांति को जन्म दिया, जिससे यह लोगों के लिए सुविधाजनक और आसान बन गया। पेटीएम ने लाखों लोगों को डिजिटल लेन-देन करने, बिल भुगतान करने और मोबाइल रिचार्ज करने की सुविधा दी, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला।
एक trailblazing IPO
नवंबर 2021 में, पेटीएम ने इतिहास रचा जब उसने सार्वजनिक रूप से अपनी पेशकश की और $2.5 बिलियन जुटाए, जिससे उसकी वैल्यूएशन $19 बिलियन तक पहुंची। यह उस समय भारत का सबसे बड़ा आईपीओ था और यह पेटीएम की महत्वता को भारतीय फिनटेक इकोसिस्टम में साबित करता है।
व्यवसाय से परे
विजय शेखर शर्मा केवल एक कुशल उद्यमी ही नहीं हैं, बल्कि एक एंजल निवेशक भी हैं जो टेक स्टार्टअप्स का सक्रिय रूप से समर्थन करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने हाल ही में दिल्ली स्थित नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में प्रबंधन बोर्ड में शामिल होकर विश्वविद्यालय की शैक्षिक पहलों में योगदान देने का निर्णय लिया है।
पुरस्कार और पहचान
विजय शेखर शर्मा को उनकी असाधारण योगदानों के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिसमें फोर्ब्स द्वारा उन्हें सबसे कम उम्र का भारतीय अरबपति बताया गया। उन्हें 2018 में एआईएमए द्वारा एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर और 2017 में टाइम मैगज़ीन की 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया गया। उनके योगदानों की सराहना द इकोनॉमिक टाइम्स, जीक्यू और अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं ने की है।
व्यक्तिगत जीवन और परोपकारिता
विजय शेखर शर्मा की शादी मृदुला पाराशर शर्मा से हुई है और वे एक खुशहाल परिवार के सदस्य हैं। वे जैक मा (अलीबाबा) और मसायोशी सोन (सोफ्टबैंक) जैसे दूरदर्शी व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेते हैं। फरवरी 2022 में, शर्मा को एक ट्रैफिक मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
व्यवसायिक प्रयासों के अलावा, विजय शेखर शर्मा को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने ‘क्लीन एयर के संरक्षक’ के रूप में नामित किया। इस भूमिका में वे पर्यावरणीय कार्यवाही और जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं, जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के ब्रीद लाइफ अभियान के लक्ष्यों से मेल खाती है।
निष्कर्ष
विजय शेखर शर्मा की यात्रा, एक छोटे से शहर से एक टेक अरबपति बनने तक, उनकी अनथक मेहनत, नवाचार और भारत के डिजिटल परिदृश्य को बदलने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी दृष्टि और योगदानों ने भारतीय तकनीकी और व्यापारिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है।