जब मैं सुबह पार्क में टहलने जाती हूँ, तो चारों तरफ हरियाली देखकर एक अजीब सी तसल्ली मिलती है। लेकिन फिर जब उसी हरियाली के बीच पड़ी पॉलिथीन की थैलियां, चिप्स के खाली पैकेट और पानी की प्लास्टिक बोतलें नजर आती हैं, तो लगता है – हम जाने-अनजाने अपनी धरती का कितना नुकसान कर रहे हैं।
आप भी कभी ना कभी यही महसूस करते होंगे। और इसी अहसास को एक आवाज़ देने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
इस लेख में मैं आपसे खुलकर बात करना चाहती हूँ – इस दिन के मकसद, इसके इतिहास, 2025 की थीम और सबसे ज़रूरी, हम सबकी जिम्मेदारी के बारे में।
क्या है विश्व पर्यावरण दिवस?
सीधी और साफ बात करें, तो यह दिन एक याद दिलाने वाला मौका है कि हमारी धरती, हमारे संसाधन और हमारी हवा-पानी – सब कुछ सीमित है। और अगर हमने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो भविष्य में हमारी अगली पीढ़ियां हमसे सवाल पूछेंगी कि हमने क्या किया?
हर साल 5 जून को दुनिया भर में पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान खींचने और जागरूकता फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। लेकिन ये दिन सिर्फ भाषणों, पोस्टरों और कार्यक्रमों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसका असली मतलब है – हर इंसान की सोच और आदत में बदलाव लाना।
यह कब शुरू हुआ और क्यों?
शायद आप नहीं जानते होंगे, लेकिन इसकी शुरुआत 1972 में हुई थी। उस साल संयुक्त राष्ट्र ने Stockholm Conference के दौरान तय किया कि अब दुनिया को पर्यावरण पर एकजुट होकर काम करना होगा। फिर 1973 से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा।
पहली थीम थी “Only One Earth” – और सोचिए, 50 साल बाद भी यह बात उतनी ही सच है। आज भी हमारे पास रहने के लिए सिर्फ एक ही धरती है। कोई Plan B नहीं है।
2025 की थीम क्या है?
अब आते हैं इस साल की बात। 2025 में इस दिन की थीम है – “Beat Plastic Pollution” यानी “प्लास्टिक प्रदूषण को हराओ।”
सच कहूं तो यह मुद्दा हम सबके बेहद करीब है। मैं रोज़ देखती हूँ कि हम कितनी आसानी से एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की चीज़ें यूज़ करते हैं – फिर चाहे वो पानी की बोतल हो, ऑनलाइन डिलीवरी का पैकेट हो या प्लास्टिक के चम्मच-कटोरी।
एक बार आपने भी गौर किया होगा कि कहीं ना कहीं, हर किसी की ज़िंदगी में प्लास्टिक चुपचाप घर कर चुका है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम इसे पहचानें, रोकें और इसे बदलने की दिशा में कदम उठाएं।
ये थीम क्यों ज़रूरी है?
मैंने हाल ही में एक रिपोर्ट पढ़ी थी जिसमें लिखा था कि हर साल करीब 400 मिलियन टन प्लास्टिक बनता है। इसमें से आधा सिर्फ एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है। अब सोचिए, इतना प्लास्टिक कहां जाता है? ज़्यादातर नदियों में, समुद्रों में या हमारी मिट्टी में मिल जाता है।
माइक्रोप्लास्टिक नाम की चीज़ अब हमारे खाने, पानी और यहां तक कि हमारे खून में भी मिल रही है। ये बहुत डरावनी बात है।
अब तो वैज्ञानिक कह रहे हैं कि प्लास्टिक सिर्फ पर्यावरण को नहीं, बल्कि हमारी सेहत को भी धीरे-धीरे बर्बाद कर रहा है।
2025 में कौन होस्ट कर रहा है?
हर साल किसी एक देश को इस दिन की आधिकारिक होस्टिंग दी जाती है। इस बार यानी 2025 में, दक्षिण कोरिया (Republic of Korea) इसकी मेजबानी कर रहा है।
यह ज़िम्मेदारी सिर्फ एक देश की नहीं, बल्कि हम सबकी है। इसलिए जरूरी है कि भारत में हम सभी इस अभियान को अपने-अपने घरों, स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में आगे बढ़ाएं।
क्या पोस्टर बनाएं या नारे लगाएं?
मैं मानती हूँ कि एक अच्छा पोस्टर या स्लोगन बहुत असरदार हो सकता है। कुछ आइडियाज़ जो मुझे पसंद आए, वो मैं यहां साझा कर रही हूँ:
- “प्लास्टिक-फ्री प्लैनेट शुरू होता है मुझसे”
इसमें एक ग्लोब को प्लास्टिक से लिपटा दिखाया गया है और कोई उसे स्टील स्ट्रॉ या कपड़े के बैग से काट रहा है। - “माइक्रोप्लास्टिक आपके अंदर भी है”
एक इंसान और मछली की बॉडी में छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े दिखाए जाते हैं। - “एक धरती, एक मौका”
इसमें धरती का आधा हिस्सा हरा-भरा और आधा प्लास्टिक से ढका हुआ दिखाया जाता है।
ऐसे पोस्टर सिर्फ दीवारों पर नहीं, दिलों पर असर करें — यही कोशिश होनी चाहिए।
अब असली सवाल: मैं और आप क्या कर सकते हैं?
अब सबसे जरूरी हिस्सा – हम क्या करें?
कई बार लोग सोचते हैं कि पर्यावरण बचाना सिर्फ सरकार या बड़ी कंपनियों का काम है। लेकिन मैं मानती हूँ, बदलाव घर से शुरू होता है।
यहां कुछ आसान बातें हैं, जो मैंने अपनी आदतों में शामिल की हैं और आप भी कर सकते हैं:
- प्लास्टिक की थैली की जगह कपड़े का बैग इस्तेमाल करें।
- प्लास्टिक बोतल के बजाय स्टील या कॉपर की बोतल लेकर चलें।
- हर बार Takeaway मंगवाते समय ‘No Plastic Cutlery’ का ऑप्शन चुनें।
- अपने दोस्तों, परिवार और ऑफिस में इस बारे में बात करें।
- सोशल मीडिया पर लोगों को जागरूक करें — लेकिन सिर्फ पोस्ट मत डालिए, खुद भी अपनाइए।
क्या यह दिन वाकई कुछ बदलता है?
कई लोग कहेंगे कि ऐसे दिन तो हर साल आते हैं, लेकिन क्या वाकई कोई बदलाव होता है?
मैं कहती हूँ — होता है, जब हम सिर्फ बात नहीं, बल्कि बदलाव शुरू करें।
हर बार जब आप प्लास्टिक की चीज़ लेने से बचते हैं, तो आप सिर्फ एक छोटी सी चीज़ नहीं बचाते, बल्कि उस सोच को आगे बढ़ाते हैं जिसकी हमें आज सबसे ज्यादा ज़रूरत है।
अंत में…
5 जून सिर्फ एक तारीख नहीं है। ये हमारे भविष्य का रिमाइंडर है।
अगर हम अभी नहीं जागे, तो आगे चलकर हमारी अगली पीढ़ियां भी सिर्फ मास्क पहनकर, बोतल बंद पानी पीकर और नकली हरियाली देखकर बड़ी होंगी।
इसलिए इस बार का विश्व पर्यावरण दिवस मेरे लिए सिर्फ एक दिन नहीं है — ये मेरी, आपकी और हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
और मैं इसे निभाने के लिए तैयार हूँ।
आप तैयार हैं?