झारखंड की सुंदरता और अद्वितीय संस्कृति की खोज करें

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झारखंड: भूमि और संस्कृति का संगम

झारखंड, जिसे अक्सर ‘वनों की भूमि’ कहा जाता है, भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक राज्य है, जो पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा से घिरा हुआ है। इसकी जीवंत संस्कृति और विविध भौगोलिक संरचना के कारण यह भारत के 15वें सबसे बड़े राज्य के रूप में पहचान प्राप्त करता है। इस राज्य का क्षेत्रफल 79,716 वर्ग किलोमीटर है, और इसकी जनसंख्या लगभग 32.96 मिलियन है।

राजधानी रांची और उप-राजधानी दुमका हैं। झारखंड अपने आकर्षक जलप्रपातों, सुंदर पहाड़ियों और पवित्र स्थलों जैसे बैद्यनाथ धाम, पारसनाथ, देवरी और राजरप्पा के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर वर्ष लाखों पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हालांकि, राज्य में समृद्ध खनिज संसाधनों के बावजूद, गरीबी और कुपोषण जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद हैं।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

झारखंड नाम संस्कृत शब्द ‘झार’ (वन) और ‘खण्ड’ (भूमि) से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘वन की भूमि’। महाभारत में इसे कर्कखंड के नाम से भी जाना जाता था। मध्यकाल में यह क्षेत्र ‘झारखंड’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

राज्य का ऐतिहासिक महत्व कई साम्राज्यों के शासन के कारण है, जैसे कि नंद, मौर्य, गुप्त और मुघल साम्राज्य। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहाँ पर कई जन आंदोलन भी हुए। अंततः 15 नवंबर, 2000 को झारखंड एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।


भूगोल, जलवायु और जैव विविधता

झारखंड का अधिकांश हिस्सा छोटानागपुर पठार पर स्थित है, और यहाँ की प्रमुख नदियाँ जैसे damodar, कोइल, और सुबर्नरेखा नदी राज्य के लैंडस्केप को आकार देती हैं। झारखंड में विविध जलवायु है, जिसमें उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु का मिश्रण है। यहाँ पर हरितिमा से भरपूर जंगल, झरने और पहाड़ों की एक अनूठी सुंदरता देखने को मिलती है।

पलामू टाइगर रिजर्व और अन्य वन्यजीव अभ्यारण्यों में जैव विविधता का समृद्ध खजाना देखने को मिलता है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थल बनाता है।


विविध जनसंख्या

झारखंड की जनसंख्या 32.96 मिलियन है, जिसमें महिला-पुरुष अनुपात 947 महिलाओं प्रति 1000 पुरुष है। यहाँ की साक्षरता दर 67.63% है। राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का काफी प्रतिशत है, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम जिलों जैसे सिमडेगा, खूंटी और गुमला में।

राज्य की भाषाई विविधता भी देखने को मिलती है। हिंदी यहाँ की राजभाषा है, जबकि नागपुरी, खोरठा और कुर्माली जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी प्रचलित हैं। झारखंड में हिंदू धर्म का दबदबा है, इसके बाद इस्लाम, ईसाई धर्म और आदिवासी धर्म जैसे सरनाईसम का पालन करने वाले लोग भी यहाँ रहते हैं।


झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर

झारखंड की सांस्कृतिक विविधता को उसके भोजन, लोक संगीत, नृत्य और कला रूपों में देखा जा सकता है। यहाँ की मुख्य खाद्य सामग्री चावल, दाल और सब्जियाँ हैं। पारंपरिक व्यंजनों में चिलका रोटी, मालपुआ और बांस की शूट्स से बने पकवान शामिल हैं।

झारखंड के लोक नृत्य जैसे झूमर, छऊ और संताल नृत्य विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। यहाँ की चित्रकला में सोहराई और खोवार चित्रण जैसे अद्भुत उदाहरण मिलते हैं, जो ग्रामीण जीवन और रीति-रिवाजों को दर्शाते हैं।


अर्थव्यवस्था

झारखंड का सकल घरेलू उत्पाद 2020-21 में ₹3.83 लाख करोड़ (US$48 बिलियन) था। राज्य में लौह अयस्क, कोयला, तांबा, मिका और बॉक्साइट जैसे खनिजों की प्रचुरता है, जो इसे स्टील और खनन उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है।

राज्य में कृषि भी महत्वपूर्ण है, जिसमें चावल, गेहूं, मक्का और सब्जियाँ उगाई जाती हैं। झारखंड सिल्क उद्योग और हस्तशिल्प के क्षेत्र में भी विकास कर रहा है, जो स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है।


पर्यटन स्थलों की खोज

झारखंड में पर्यटकों के लिए कई आकर्षक स्थल हैं। यहां के धार्मिक स्थल जैसे पारसनाथ और बैद्यनाथ धाम विशेष रूप से तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, जोंहा और hundru झरने, नेतारहाट, और बेटला नेशनल पार्क भी प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल हैं।

राज्य में आदिवासी संस्कृति का दर्शन भी यात्रा करने वाले पर्यटकों को होता है। यहाँ के राज्य संग्रहालय और जनजातीय अनुसंधान संस्थान झारखंड की संस्कृति और परंपराओं को समझने का एक बेहतरीन माध्यम हैं।


निष्कर्ष

झारखंड एक विविधतापूर्ण राज्य है, जहाँ की संस्कृति, भौगोलिक सुंदरता और प्राकृतिक संसाधन इस राज्य को विशेष बनाते हैं। यहां की ऐतिहासिक धरोहर और आर्थिक परिप्रेक्ष्य इसे भारतीय मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान देते हैं। झारखंड का अन्वेषण करने से हमें केवल वनों की भूमि नहीं, बल्कि एक ऐसी भूमि का अनुभव होता है, जहाँ अनगिनत कहानियाँ और अनुभव छुपे होते हैं।

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