GSP Crop Science Pvt. Ltd: नवाचार और फसल सुरक्षा समाधानों में अग्रणी

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भारत, जिसकी जनसंख्या लगभग 1.4 बिलियन है, हर दिन करोड़ों लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। फूड सिक्योरिटी का महत्व अत्यधिक है। इस संघर्ष के केंद्र में फसलों की सुरक्षा की अनिवार्यता है – ऐसे कीटों से जो कृषि उत्पादन को बर्बाद कर सकते हैं।

इसी क्षेत्र में एक मज़बूत रक्षा पंक्ति के रूप में उभरती है GSP Crop Science प्रा. लि., जो एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री में एक अग्रणी नाम है।

अहमदाबाद में मुख्यालय स्थित यह संगठन आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया नीतियों के अनुरूप पूरे भारत में एग्रोकेमिकल्स का विकास और विक्रय करता है। जहाँ पहले महंगे इंपोर्ट पर निर्भरता थी, वहीं अब यह कंपनी न केवल घरेलू ज़रूरतें पूरी करती है बल्कि ग्लोबल मार्केट को भी एक्सपोर्ट करती है।

GSP का विज़न है कि वह किसानों को इनोवेटिव प्रोडक्ट्स रीजनल प्राइसेज़ पर उपलब्ध कराए और इंडिजिनस मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता दे। यह सोच खासकर छोटे किसानों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिन्हें मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन (एम.एन.सी.) के महंगे प्रोडक्ट्स खरीदने में कठिनाई होती है। भारत की लगभग 40 से 60 करोड़ आबादी सीधे तौर पर खेती से जुड़ी हुई है, जिनमें ज़्यादातर छोटे किसान हैं – ऐसे में अफोर्डेबिलिटी बेहद अहम है।

GSP का मुख्य मिशन है कि वह क्वालिटी प्रोडक्ट्स कॉम्पिटिटिव प्राइसेज़ पर उपलब्ध कराए और किसानों की ज़रूरतें सरकार की ARKB मिशन से पहले ही समझकर उन्हें समाधान दे।

कंपनी के पास 6000 से अधिक B2C डीलर्स और 2000 से अधिक B2B कस्टमर्स का नेटवर्क है, जिनमें कई प्रमुख एंटरप्राइज़ेस और MNCs शामिल हैं।

1985 में दिवंगत व्रजमोहन आर. शाह द्वारा स्थापित, GSP Crop Science आज भी उनके विज़न और मिशन को जारी रखे हुए है। कंपनी किसानों को सस्ते और स्वदेशी एग्रो प्रोडक्ट्स के माध्यम से सशक्त बना रही है और क्वालिटी के साथ किफायती समाधान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

भावेश शाह, मैनेजिंग डायरेक्टर, GSP Crop Science

श्री भावेश शाह 1993 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद से कंपनी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कंपनी के ऑपरेशंस को ऊंचाई देने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) की शुरुआत की। पहले उन्होंने फॉर्म्युलेशन प्रोसेसेज़ पर फोकस किया और फिर 1994 में सेल्स की दिशा में कदम बढ़ाया। उनके नेतृत्व में GSP ने गुजरात से पूरे भारत में विस्तार किया और आज इसके साथ 6000 से अधिक डीलर्स जुड़े हुए हैं।

इनोवेशन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने भारत में 93 नए प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए, जिनमें 8 पेटेंट शामिल हैं। ‘डाइफेन्थेरॉन’ ने उनके करियर में एक टर्निंग पॉइंट लाया, जिससे एक प्रमुख MNC के साथ टाई-अप हुआ। इसके बाद ‘SLR’ नामक प्रॉडक्ट ने ट्रेडिशनल ट्रेंड्स को तोड़ा और MNCs के टॉप-10 सेल करने वाले प्रॉडक्ट्स में शामिल हो गया – जिसे केवल GSP से सोर्स किया जाता है। हाल ही में विकसित ‘CTPR’ को भी पेटेंट मिला है, और इसके लिए मार्केट में डिमांड काफी बढ़ने की उम्मीद है।

केमिकल इंडस्ट्री में चल रहे मोनोपॉली को देखते हुए श्री शाह ने किसानों के लिए किफायती विकल्पों के निर्माण की दिशा में पहल की। R&D टीम को शामिल करने से प्रॉडक्ट्स की टेक्निकल क्वालिटी बेहतर हुई और भारत में होने वाली प्रॉडक्ट शॉर्टेज को कम करने का लक्ष्य बना।

श्री शाह का विज़न वैश्विक स्तर तक फैला है – वे GSP को दुनिया की टॉप-10 केमिकल कंपनियों में लाना चाहते हैं। उनकी यात्रा किसान तक प्रॉडक्ट पहुंचाने के लक्ष्य से शुरू हुई थी, जो अब affordability और availability सुनिश्चित करते हुए ग्लोबल रेप्युटेशन की दिशा में बढ़ रही है।

किसानों की भलाई के लिए की गई उनकी निष्ठावान मेहनत के लिए श्री भावेश शाह को एग्रीकल्चर टुडे द्वारा बेस्ट सीईओ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

उन्नत समाधान के ज़रिए कृषि को संबल देना

GSP Crop Science द्वारा विकसित प्रॉडक्ट्स में रिसर्च की भूमिका बेहद अहम रही है। उनका फ्लैगशिप प्रॉडक्ट क्लोरान्ट्रानिलीप्रोल (CTPR) मार्केट में लॉन्च होने से पहले गहन रिसर्च से गुज़रा, जिससे उसकी प्रभावशीलता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह एक टिकाऊ इन्सेक्ट कंट्रोल सिस्टम के रूप में काम करता है, जो गन्ना, चावल, सोयाबीन, दालें और सब्जियों जैसी फसलों पर विभिन्न कीट प्रजातियों और जीवन चक्र के चरणों पर प्रभावी ढंग से कार्य करता है।

CTPR में पौधों के रूट से स्टेम तक बेहतरीन बॉटम-अप इंटेक और ट्रांसपोर्टेशन की क्षमता है। इन्सेक्टिसाइड्स, फंगिसाइड्स, हर्बिसाइड्स और प्लांट रेगुलेटर्स के फॉर्म्युलेशन में इस्तेमाल की गई कटिंग-एज टेक्नोलॉजी किसानों को महत्वपूर्ण राहत देती है। श्री भावेश शाह अपनी उत्सुकता ज़ाहिर करते हुए कहते हैं:

“GSP को अपने ब्रांड नेम्स हेलिप्रो और बैलट के ज़रिए भारतीय बाजार में CTPR (क्लोरान्ट्रानिलीप्रोल) पेश करने पर बेहद गर्व है। हम उन कुछ चुनिंदा कंपनियों में शामिल हैं जो इस मार्केट में प्रवेश कर रही हैं।”

₹1200 करोड़ के वार्षिक टर्नओवर और गुजरात व जम्मू-कश्मीर स्थित चार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के साथ GSP Crop Science भारत में 70 से अधिक ब्रांडेड प्रॉडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स, डीलर्स और डिपोज़ के विशाल नेटवर्क के माध्यम से बेचती है और 25 देशों में एक्सपोर्ट करती है। उनके टॉप प्रॉडक्ट्स जैसे SLR, CTPR, पेंडिमीथालिन, क्लोरोकोनीफॉस और पेमीटिज़िन उनकी सफलता में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

2024 में GSP की रणनीतिक प्राथमिकता ग्लोबल एक्सपेंशन है। जनवरी से ब्राज़ील में ऑपरेशन्स शुरू करने की योजना है। इसके लिए एक समर्पित वर्टिकल हेड नियुक्त किया गया है और टीम विस्तार की प्रक्रिया चल रही है, जो इंटरनेशनल बिज़नेस एक्सपेंशन स्ट्रैटेजी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

$3 मिलियन के निवेश प्रस्ताव के साथ, श्री शाह को $14 बिलियन के ब्राज़ीलियन एग्रोकेमिकल मार्केट में अपार संभावनाएं नज़र आ रही हैं।

अनुसंधान और विकास के ज़रिए कृषि क्रांति की अगुवाई

GSP की रिसर्च और डेवेलपमेंट के प्रति प्रतिबद्धता ने क्रांतिकारी प्रक्रियाओं को जन्म दिया है। संगठन ने पाइमेट्रोजिन और CTPR के विकास में पायनियरिंग प्रोसिज़र्स अपनाए, जिनके चलते ये प्रॉडक्ट्स आज केमिकल इंडस्ट्री में अपनी असाधारण शुद्धता के लिए पहचाने जाते हैं।

श्री भावेश शाह बताते हैं, “हमारी इनोवेशन के प्रति प्रतिबद्धता के कारण, हमने भारत की इम्पोर्ट डिपेंडेंसी को खत्म किया और अपने प्रॉडक्ट्स को मार्केट में प्योरिटी और क्वालिटी के बेंचमार्क के रूप में स्थापित किया।”

GSP का रिसर्च एंड डेवेलपमेंट (R&D) विभाग किसानों के लिए उच्च-स्तरीय एग्रीकल्चरल सॉल्यूशन्स तैयार करने में समर्पित है, जिससे उपज बढ़े और कीटनाशकों के प्रति रेजिस्टेंस की समस्या से बचा जा सके। आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देते हुए और चाइनीज़ इम्पोर्ट्स पर निर्भरता कम करने के लिए, GSP शुरुआत से ही प्रॉडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग करता है—जिससे क्वालिटी और अफॉर्डेबिलिटी पर पूर्ण नियंत्रण रहता है।

प्रॉडक्शन के हर चरण में बारीकी से ध्यान देने के कारण इम्पोर्ट्स में भारी कटौती हुई है, जिन्हें अब उनकी टेक्निकल R&D टीम मैनेज करती है।

GSP की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज़ में सेफ्टी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। हर प्रॉडक्ट की सेफ्टी चेक के लिए एक थर्ड पार्टी एक्सक्लूसिवली नियुक्त की गई है, जो सख्त सेफ्टी प्रोटोकॉल्स और क्वालिटी एश्योरेंस सुनिश्चित करती है।

इसके अलावा, उनके R&D फ्रेमवर्क ने एक स्पेशल फॉर्म्युलेशन डिवीजन की स्थापना की है, जो 2-वे और 3-वे कॉम्बिनेशन सॉल्यूशन्स डिज़ाइन करता है—जो किसानों को ज़मीन से जुड़ी खास समस्याओं के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं।

GSP की उल्लेखनीय उपलब्धियों में शामिल है 2016 में ‘SLR’ का विकास, जिसने ‘व्हाइट फ्राय’ की समस्या को हल किया और फसल क्षति में भारी कमी लाई। एक अन्य प्रॉडक्ट ‘BCD’ ने ब्लैक फंगस के कारण सोयाबीन और मूंगफली में होने वाले नुकसान को कम किया, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिली।

GSP की विशेष पहचान: आत्मनिर्भरता, टेक्नोलॉजी और ब्रँड स्ट्रेंथ का संगम

GSP की विशिष्टता उसकी तीन मजबूत विशेषताओं में निहित है—मजबूत ब्रँड स्ट्रेंथ, तकनीकी विशेषज्ञता और एक स्थापित एक्सपोर्ट स्ट्रॅटेजी। यही त्रिफला कंपनी को मार्केट में मजबूती से टिकाए रखता है। GSP का सबसे बड़ा USP यह है कि उसने वे उत्पाद देश में ही बनाना शुरू कर दिए जो पहले पूरी तरह से इम्पोर्टेड होते थे, जिससे भारत को करोड़ों की फॉरेन करंसी बचाने में मदद मिली।

2011 में कंपनी ने ‘डाइफेन्थेरॉन’ के निर्माण के लिए देशी टेक्नोलॉजी शुरू की, जिससे इसका इम्पोर्ट बंद हुआ। पिछले दस वर्षों में 1000 करोड़ रुपये से अधिक की सामग्री भारत में ही तैयार की गई, जिसे अब MNCs को सप्लाय किया जाता है।

GSP लगातार नए प्रॉडक्ट्स लांच कर रहा है और शुरुआत से मैन्युफैक्चरिंग करने की प्रतिबद्धता के साथ देशी और नवाचारपूर्ण टेक्नोलॉजी अपनाता है, जो कंपनी को मार्केट में एक अलग और मजबूत पहचान देता है।

चुनौतियों पर विजय: गुजरात से राष्ट्रीय स्तर तक का सफर

GSP क्रॉप साइंस की यात्रा शुरुआत में काफी चुनौतियों से भरी रही। पहले यह केवल गुजरात की जलवायु पर निर्भर था, जिससे उसका व्यवसाय सिर्फ स्थानीय सीमाओं तक सीमित था। लेकिन समय के साथ कंपनी ने क्षेत्रीय निर्भरता से निकलकर पॅन इंडिया स्तर पर काम करना शुरू किया और मानसून के समय होने वाले क्षेत्रीय नुकसान से बचने के लिए डायव्हर्सिफिकेशन को अपनाया।

एक और बड़ी चुनौती कपास की खेती में सामने आई, जहां प्रॉडक्ट अप्लिकेशन के बावजूद पौधों की उम्र सीमित रह रही थी। इसका हल निकालते हुए GSP ने एक विशेष केमिकल तैयार किया जो सिर्फ कपास ही नहीं, बल्कि मानसून के दौरान धान, गन्ना, मिर्च और सब्जियों जैसे फसलों के नुकसान को भी कम करता है। यह रणनीतिक इनोवेशन गुजरात से आगे निकलकर पूरे देश में फैला, और GSP को देशभर में मानसून से जुड़ी कृषि समस्याओं से निपटने की ताकत दी।

फसल सुधार की दिशा में टिकाऊ रणनीति

GSP की सस्टेनेबिलिटी स्ट्रॅटेजी पोषक तत्वों से भरपूर उत्पादों पर केंद्रित है जो फसल की उपज बढ़ाने में मदद करते हैं, और जैविक कीटनाशकों से दूरी बनाए रखती है। हाल ही में कंपनी ने ‘जेनेरस स्पर्मेशन’ नामक एक स्वदेशी नवाचार पेश किया है, जो आरंभिक बिक्री में सफल रहा है। इस वर्ष इसका उत्पादन 500 टन से बढ़ाकर 1000 टन करने की योजना है।

पिछले तीन महीनों में कंपनी ने चार पेटेंटयुक्त धान उत्पाद लॉन्च किए हैं, जो भारत की 40% कृषि भूमि पर धान की खेती के महत्व को दर्शाता है। इसके अलावा, कंपनी हर्बिसाइड निर्माण में भी सक्रिय है। भविष्य में GSP विभिन्न अनाजों के लिए उपयुक्त केमिकल प्रॉडक्ट्स विकसित करने की योजना बना रही है, जिसमें अनुसंधान, तकनीकी विशेषज्ञता और इम्पोर्ट स्ट्रॅटेजी की अहम भूमिका होगी।

कंपनी की कुछ इकाइयों में सोलर एनर्जी का उपयोग लागत में कटौती करता है, और दीर्घकालिक विकास एवं सस्टेनेबिलिटी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एग्रोकेमिकल्स में तकनीकी नवाचार का नेतृत्व

एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री लगातार विकसित हो रही है, और तकनीकी प्रगति के साथ बने रहना समय की मांग है। इसे ध्यान में रखते हुए, GSP ने अपने संचालन में अत्याधुनिक तकनीकों को रणनीतिक रूप से जोड़ा है।

एक दशक पहले की गई SAP इम्प्लीमेंटेशन ने पूरे प्लांट को ऑटोमेटेड बना दिया था। अब इसके हालिया विस्तार भी ऑटोमैटिकली काम कर रहे हैं। सेल्स टीम के लिए एक विशेष ऐप बनाया गया है, जिससे सेल्स रेशियो की सीधी निगरानी की जा सकती है। जनवरी 2024 तक इसे किसानों तक भी पहुंचाने की योजना है। GSP नई सीडिंग टेक्नोलॉजीज और आधुनिक स्प्रेइंग मशीनें भी विकसित कर रही है, जिससे खेती के तरीके और बेहतर बनें।

उनकी कुशल R&D टीम कच्चे माल से विविध उत्पादों का संश्लेषण करने में माहिर है। टीम ने भारत में पहली बार OD और SE जैसी नई फॉर्म्युलेशन्स विकसित की हैं, जो कृषि क्षेत्र में नए मानक स्थापित करती हैं और GSP के तकनीकी नवाचार को दर्शाती हैं।

मार्गदर्शन: भावी उद्यमियों के लिए सीख

केमिकल इंडस्ट्री में कदम रखने वाले नए उद्यमियों को सलाह देते हुए श्री भावेश शाह कहते हैं, “कंसिस्टेंसी टिकाऊ सफलता की कुंजी है। चूंकि यह बाजार अत्यंत प्रतिस्पर्धी है, इसलिए निरंतर नवाचार ही प्रगति का रास्ता है। नियमितता और नए-नए प्रॉडक्ट्स लाने से ही इस गतिशील क्षेत्र में टिके रहना संभव है।”

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