सूड-केमी इंडिया प्रा. लि.: पाँच दशकों से इनोवेशन और गुणवत्ता में अग्रणी – परफॉर्मेंस केमिकल इंडस्ट्री का ग्लोबल लीडर

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आज की केमिकल इंडस्ट्री एक बड़े बदलाव से गुजर रही है। अब पर्यावरण के अनुकूल प्रोडक्ट्स की माँग तेजी से बढ़ रही है और कंपनियाँ सर्कुलर इकॉनॉमी यानी रीयूज़ और रिसायक्लिंग पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। इस बदलाव की अगुवाई कर रही है सूड-केमी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एससीआइएल) – एक प्रगतिशील और इनोवेटिव कंपनी, जिसे सीईओ प्रकाश बाबू सूर्य लीड कर रहे हैं।

कंपनी की शुरुआत 1969 में कैटलिस्ट्स एंड केमिकल्स इंडिया (वेस्ट एशिया) प्रा. लि. के रूप में हुई थी। बाद में कुछ मर्जर और बदलाव हुए और 1979 में इसका नाम यूनाइटेड कैटलिस्ट्स इंडिया लिमिटेड (यूसीआइएल) रखा गया। फिर 2000 में जर्मनी की सूड-केमी ए.जी. ने अमेरिका की सीसीआइ कंपनी के शेयर खरीदकर इसका नाम बदलकर सूड-केमी इंडिया प्रा. लि. कर दिया।

2011 में क्लेरिएंट इंटरनॅशनल द्वारा अधिग्रहण के बाद, आज यह कंपनी भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी कैटलिस्ट सॉल्यूशन्स के लिए जानी जाती है। इसकी ताकत है गहरी केमिस्ट्री नॉलेज और क्लाइंट्स की जरूरतों को समझने की क्षमता – भारत और इंटरनॅशनल मार्केट दोनों में।

एससीआइएल: इनोवेशन और सस्टेनेबिलिटी के कैटलिस्ट

सूड-केमी इंडिया प्रा. लि. (एससीआइएल) का उद्देश्य ऐसे कैटलिस्ट्स बनाना है जो इनोवेशन, पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी और संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा दें। कंपनी लगातार ऐसे आधुनिक समाधान दे रही है जो टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता और एफिशिएंसी को भी बेहतर बनाते हैं। एससीआइएल का सपना है – सस्टेनेबिलिटी से भरे भविष्य की नींव रखना, वो भी कैटलिस्ट्स के ज़रिए।

एससीआइएल की वर्क कल्चर की बुनियाद “CHIME” नाम के पाँच मूल्यों पर टिकी है –

कमिटमेंट: कंपनी अपने सभी इंटरनल और एक्सटर्नल स्टेकहोल्डर्स से किए गए वादों को पूरा करने और गोपनीयता बनाए रखने के लिए पूरी तरह समर्पित है।

ऑनेस्टि और ट्रांसपेरेंसी: हर बातचीत और फैसले में साफ़गोई और सच्चाई को प्राथमिकता दी जाती है। कोई बात छिपाई या गलत ढंग से पेश नहीं की जाती।

इंटेग्रिटी: हर काम में ईमानदारी और नैतिकता सबसे ऊपर रखी जाती है।

म्युचुअल ट्रस्ट एंड रिस्पेक्ट: सभी की ज़रूरतों को समझते हुए एक-दूसरे का सम्मान और विश्वास बनाए रखना, ज़िम्मेदारी लेना और जवाबदेही निभाना।

एक्सीलेंस: सेफ़्टी, हेल्थ और एनवायरनमेंट के नियमों का पालन करते हुए, मैन्युफैक्चरिंग, प्रॉडक्ट डेवेलपमेंट, क्वालिटी और कस्टमर सर्विस में हमेशा बेहतरी की ओर बढ़ना।

प्रकाश बाबू सूर्य, सीईओ, सूड-केमी इंडिया प्रा. लि.

प्रकाश बाबू सूर्य 1992 से एससीआइएल के साथ जुड़े हुए हैं और पिछले 12 सालों से कंपनी के सीईओ हैं। उनके कॉम्पिटिटिव स्पिरिट ने कंपनी के मार्केट शेयर को बढ़ाने, इनोवेटिव प्रॉडक्ट्स डेवेलप करने और नए सेगमेंट्स में एंट्री लेने में अहम भूमिका निभाई है।

उनकी लीडरशिप दिल और दिमाग दोनों का मेल है – जहाँ टीमवर्क को बढ़ावा दिया जाता है और हर व्यक्ति को इनोवेशन और सस्टेनेबल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए प्रेरित किया जाता है। वो हर कर्मचारी को संगठन के विज़न, वैल्यूज़ और कल्चर का हिस्सा मानते हैं, जिससे लोगों को एक ownership की भावना और आंत्रप्रेन्योरियल स्पिरिट मिलती है।

वो हमेशा इस बात पर ज़ोर देते हैं कि प्रदर्शन सिर्फ मेहनत से नहीं, बल्कि स्मार्ट तरीके से होना चाहिए – जिसमें वफादारी और समर्पण भी हो, व्यक्ति और संस्था दोनों स्तरों पर। उनके नेतृत्व में एससीआइएल ने एक “होम टू होम” कल्चर अपनाया है, जहाँ हर कर्मचारी को ऑफिस में घर जैसी भावना महसूस होती है और वे अपना बेस्ट देने के लिए मोटिवेटेड रहते हैं।

पाँच दशक से बेहतरीन कैटालिस्ट निर्माण में

५० साल की स्थापना के साथ, एससीआईएल ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है और अपने नए प्रोडक्ट्स और बढ़िया सर्विस के लिए सराहना पाई है। कंपनी हमेशा नई तकनीक, पर्यावरण की सुरक्षा और समाज के विकास पर ध्यान देती है। एससीआईएल नए कैटालिस्ट बनाने और बड़े पैमाने पर बनाने में एक्सपर्ट है। यह ऑक्साइड, कीमती धातु, ज़ियोलाइट्स, और वॉश कोट वाले प्रोडक्ट्स बनाती है, जिनके लिए वो लेटेस्ट मैन्युफैक्चरिंग तकनीक का इस्तेमाल करती है।

एससीआईएल ने अब सतत (सस्टेनेबल) प्रोडक्ट्स और पर्यावरण बचाने वाले प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा फोकस किया है ताकि ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम किया जा सके। प्रोडक्शन के अलावा, कंपनी अच्छा आफ्टर-सेल्स सपोर्ट भी देती है जैसे प्रोडक्ट की परफॉर्मेंस चेक करना, लाइफ प्रेडिक्शन, प्रॉब्लम सॉल्विंग, और लोडिंग या स्टार्टअप में मदद।

एससीआईएल के प्रोडक्ट्स पेट्रोकेमिकल्स, ऑटोमोटिव, सिंथेसिस गैस, और रिफाइनरी जैसे इंडस्ट्रीज के लिए बनाए जाते हैं। इनके १०० से ज्यादा बड़े क्लाइंट हैं, जिनमें आईओसीएल, एचपीसीएल, बीपीसीएल, आईएफ़को, खीभको, आरसीएफ, और चम्बल जैसे नाम शामिल हैं। ५३५ कर्मचारी कंपनी के लिए काम करते हैं, और इनके प्रोडक्शन यूनिट कोच्चि और वडोदरा में हैं, जबकि ऑफिस नई दिल्ली और मुंबई में हैं।

एससीआईएल की खास बात: बेहतर परफॉर्मेंस और सेफ्टी

कैमिकल इंडस्ट्री में, कैटालिस्ट का काम कस्टमर की यूनिट की परफॉर्मेंस, भरोसेमंदता और मुनाफे के लिए बहुत जरूरी होता है। एससीआईएल को उर्वरक, रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल, स्टील, खास कैमिकल्स और सेमीकंडक्टर्स इंडस्ट्रीज की गहरी समझ है। इसलिए वे किफायती, अच्छे क्वालिटी के कैटालिस्ट और बेस्ट सर्विस देते हैं।

सेफ्टी कंपनी की पहली प्राथमिकता है। एससीआईएल में सेफ्टी को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाता। वे बिहेवियरल और प्रोसेस सेफ्टी दोनों पर कड़ी मेहनत करते हैं ताकि कोई भी खतरा न रहे। कंपनी का मानना है कि सभी एक्सीडेंट रोके जा सकते हैं और हर कोई जिम्मेदार है कि वह उसे रोके। इस सोच को वे एक सेफ और भरोसेमंद वातावरण बनाकर लागू करते हैं, जहां लोग बिना डर के असुरक्षित हालात रिपोर्ट कर सकें। जो भी प्रॉब्लम बताई जाती है, उसे बिना छुपाए जल्द से जल्द हल किया जाता है।

एससीआईएल हर स्टेकहोल्डर को एक मजबूत सेफ्टी कल्चर बनाने में शामिल करता है, इसके लिए वे नियमित सेफ्टी ऑडिट, ड्रिल और प्रोजेक्ट शुरू होते ही HAZOP और HIRA प्रोसेस लागू करते हैं। DART रेट को भी कड़ा मॉनिटर किया जाता है ताकि हर वक्त सेफ्टी पर पूरा ध्यान रहे।

चुनौतियों के बीच सफलता की कहानी

एससीआईएल की यात्रा आसान नहीं रही। खासकर तब जब यूरोप की कुछ कंपनियों ने इंडियन मार्केट में अपने प्रोडक्ट्स भरकर कॉम्पिटिशन खत्म करने की कोशिश की। लेकिन एससीआईएल ने इसे अच्छे से हैंडल किया। उन्होंने प्रूव किया कि ये प्राइसिंग पॉलिसी जानबूझकर की जा रही थी, जिसके बाद गवर्नमेंट ने एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई और इंडियन मैन्युफैक्चरर्स को सपोर्ट मिला।

नए बनाए गए प्रोडक्ट्स को मार्केट में लाना और कम लागत में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी सेट करना भी बड़ी चुनौती थी। लेकिन एससीआईएल की टीम ने हर चैलेंज का डटकर सामना किया—पूरे डेडिकेशन, कॉन्फिडेंस और तेजी से काम करते हुए हर बार सफलता हासिल की।

एससीआईएल की सक्सेस पर बात करते हुए सीईओ श्री प्रकाश बाबू सुर्या कहते हैं, “पिछले २० सालों में हमने लगातार २०% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) बनाए रखी है—टॉपलाइन और बॉटमलाइन दोनों में। आज हम अपने ग्लोबल ग्रुप के बड़े प्लेयर्स में शामिल हैं।”

एससीआईएल ने कई इनोवेटिव प्रोडक्ट्स डेवलप और कमर्शियलाइज़ किए हैं। अब कंपनी टेक्नोलॉजी इम्पोर्ट करने की बजाय, ६०% सेल्स एक्सपोर्ट से कमा रही है। “मेक इन इंडिया” पर फोकस करते हुए कंपनी ने तेजी, लचीलापन, जिम्मेदारी और एंटरप्रेन्योरशिप वाली सोच को अपनाया है—जो हर मुश्किल सिचुएशन को हैंडल करने में मदद करता है।

इनोवेशन और ऑटोमेशन से बन रही है एक्सीलेंस की पहचान

एससीआईएल की पहचान है—क्वालिटी और इनोवेशन। ये सिर्फ एक टाइम की चीज़ नहीं, बल्कि कंपनी की डेली वर्किंग का हिस्सा है। उन्होंने कई नए और यूनिक प्रोडक्ट्स लॉन्च किए हैं, जिनमें से कई तो ग्लोबली एक्सपोर्ट भी हो रहे हैं।

एससीआईएल की इनोवेशन पॉलिसी कहती है कि “पिछले ५ सालों में लॉन्च किए गए नए प्रोडक्ट्स से कंपनी की २५% सेल्स आनी चाहिए।” इसका मतलब है कि कंपनी सिर्फ नए प्रोडक्ट नहीं बनाती, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस, क्वालिटी, एनर्जी एफिशिएंसी, और ऑपरेशन्स को लगातार बेहतर बनाती रहती है।

कंपनी ने एडवांस ऑटोमेशन और डिजिटल टूल्स अपनाए हैं—जैसे ईआरपी-बेस्ड प्रोसेस, ऑटोमेशन सिस्टम्स, और सिक्योरिटी के लिए EDR, XDR, UTM/फायरवॉल्स और क्लाउड-बेस्ड ईमेल प्रोटेक्शन। साथ ही, IoT और AI टेक्नोलॉजी भी कई जगह लागू की गई है, कुछ प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, कुछ चालू हैं, और कुछ प्लान किए जा रहे हैं।

एससीआईएल की डिजिटल स्ट्रैटेजी एक पॉलिसी के तहत चलती है। कंपनी ने ‘SCIL-Digital Club’ बनाकर एक ऐसा कल्चर तैयार किया है, जिसमें डिजिटल इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाता है।

एससीआईएल का भविष्य: आगे क्या है?

एससीआईएल का 2030 तक का विज़न है कि वो अपनी अब तक की ग्रोथ को जारी रखे, जिसमें हर साल लगभग 20% कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) बनी रही है। कंपनी ने आने वाले समय के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गोल्स तय किए हैं, जिनका फोकस है—ऐसे प्रोडक्ट्स बनाना जो सस्टेनेबिलिटी, एनर्जी एफिशिएंसी और ग्रीनहाउस गैस कम करने में मदद करें।

सस्टेनेबिलिटी को लेकर एससीआईएल की सोच हमेशा से मजबूत रही है। कंपनी ने अपने प्लांट्स में कई ग्रीन इनिशिएटिव्स लागू किए हैं—जैसे विंडमिल्स, बायोमास बॉयलर्स, स्टीम टर्बाइन्स और पावर ऑप्टिमाइज़र। साथ ही, उनके प्रोडक्ट्स इस तरह डिज़ाइन किए जा रहे हैं जिससे ग्रीनहाउस गैस कम हो, प्लास्टिक री-सायकल हो सके और ग्रीन अमोनिया व हाइड्रोजन का प्रोडक्शन बढ़े।

कंपनी ने एफ्लुएंट्स (industrial waste) कम करने के लिए भी रीसायकलिंग प्रोसेसेज़ अपनाए हैं। इन सभी कोशिशों के साथ एससीआईएल का टारगेट है कि 2030 तक 2019 के मुकाबले CO2 एमिशन में 40% की कटौती हो और 2040 तक कंपनी पूरी तरह से कार्बन न्यूट्रल बन जाए।

इसके अलावा, एससीआईएल के पास नए प्रोडक्ट्स की एक मजबूत पाइपलाइन है—जो डोमेस्टिक और ग्लोबल दोनों मार्केट्स के लिए बनाए जा रहे हैं। ये “मेक इन इंडिया” मिशन को भी सपोर्ट करते हैं और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देते हैं।

एससीआईएल के फ्यूचर को लेकर CEO श्री प्रकाश बाबू सुर्या कहते हैं, “हम लगातार नए प्रोडक्ट्स, सस्टेनेबिलिटी, डिजिटाइजेशन और ऑटोमेशन पर काम कर रहे हैं ताकि बदलते मार्केट की ज़रूरतों को पूरा कर सकें।”

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